पीएम के जन्मदिन पर टीकाकरण के महा अभियान पर उठने लगे सवाल, मृतकों के नाम से भी जारी हो गए टीका प्रमाण पत्र
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17 सितंबर के टीकाकरण की ये भी है कड़वी सच्चाई
पहले हम मध्यप्रदेश में भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर आगर मालवा की बात करते हैं। यहां आशुतोष शर्मा की मां विद्या शर्मा को 8 मार्च को कोविशील्ड का पहला डोज लगा, जून में दूसरा डोज लगना था। 1 मई 2021 को कोरोना से ही उनका निधन हो गया। मौत के 4 महीने बाद 17 सितंबर को मोबाइल पर मैसेज आया कि नगर पालिका टाउन हाल में उन्हें टीके का दूसरा डोज लग गया। वेबसाइट में आशुतोष को मां के नाम का सर्टिफिकेट भी मिल गया।
आगर के ही छावनी में रहने वाली 26 साल की पिंकी वर्मा ने 8 जून को पहला डोज लगवाया, दूसरा डोज लगना है। उन्हें भी 17 सितंबर मैसेज आ गया कि उन्हें टीका लग गया। वो भी राजस्थान में झालावाड़ जिले के टीकाकरण केंद्र पर। पिंकी का कहना है कि मुझे 8 जून को लगी थी। दूसरी 7 सितंबर को लगनी थी, लेकिन मेरी तबीयत खराब हो गई तो दूसरा डोज नहीं लिया। मुझे लगता है आंकड़े बढ़ाने के लिये ऐसा किया जा रहा है।
भोपाल की लीला सुतार को 25 मार्च को पहला टीका लगा, फिर कोरोना संक्रमित हो गई। ऐसे में दूसरा डोज लग नहीं पाया। 17 सितंबर को उन्हें भी टीका लगने का मैसेज आ गया। लीला का कहना है कि मैंने अभी दूसरा वैक्सीन नहीं लगाई फिर भी मैसेज आ गया। मैं कहीं बाहर गई तो मुझे तो परेशानी आएगी मैं क्या करूं।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है, कौन सा मामला है। एक दो मामला हो सकता है। जांच की जाएगी लिपकीय त्रुटि हो सकती है। कोई ऐसी दिक्कत होगी तो निदान होगा। अब 27 सितंबर को महाअभियान की तैयारी है, लक्ष्य है उस दिन तक राज्य की पूरी आबादी को पहला डोज लगा दिया जाए।
यूपी के सीतापुर में भी आए थे ऐसे प्रकरण
यूपी के सीतापुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी दो लोगों को ऐसे ही कोरोना की वैक्सीन लगाने का दावा किया गया था, जिनकी मौत कई महीने पहले हो चुकी थी। प्रशासन ने एक बच्चे के उन माता-पिता को टीका लगा दिया है, जिनकी मौत कई महीने पहले हो गई। यहां बच्चे के पिता अंगनू की मौत बीते करीब एक वर्ष पहले हुई थी और मां रामदेई की मौत हो चुकी थी। फिर भी उनके आधार नंबर और नाम के अनुसार कोविड वैक्सिनेशन का सर्टिफिकेट बीते 09 अगस्त 2021 को जारी कर दिया गया था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।