अनंत अंबानी के वनतारा को मिला प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्राणी मित्र पुरस्कार

अनंत अंबानी की वनतारा को भारत सरकार की ओर से कॉर्पोरेट श्रेणी के तहत पशु कल्याण में भारत के सर्वोच्च सम्मान, प्रतिष्ठित ‘प्राणी मित्र’ राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार राधे कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट (RKTEWT) के असाधारण योगदान के लिए दिया गया है। पुरस्कार विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री की ओर से दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बताते चलें कि वनतारा हाथियों के बचाव, उपचार और आजीवन देखभाल के लिए समर्पित संगठन है। 998 एकड़ में फैले इस वनतारा केंद्र में 240 से अधिक बचाए गए हाथी हैं। इसमें से सर्कस से 30 हाथी, लकड़ी उद्योग से 100 से अधिक हाथी और सवारी और सड़क पर भीख मांगने जैसी कुप्रथाओं से बचाए गए अन्य हाथी शामिल हैं। उपेक्षा और दुर्व्यवहार सहने वाले इन हाथियों को वनतारा में विश्व स्तरीय पशु चिकित्सा उपचार और देखभाल मिलती है। वनतारा में हाथियों का दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल भी है। यहां हाथियों के लिए तालाब और जकूजी जैसी सुविधाएं भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वनतारा के सीईओ विवान करणी ने सम्मान स्वीकार करते हुए कहा कि यह पुरस्कार उन अनगिनत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने भारत के पशुओं की सुरक्षा और देखभाल के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। वनतारा में, पशुओं की सेवा करना केवल एक कर्तव्य नहीं है। यह हमारा धर्म और सेवा है। हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा करने के अपने मिशन में अथक प्रयास करते रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कॉरपोरेट श्रेणी में प्राणि मित्र पुरस्कार पिछले पांच वर्षों में पशु कल्याण में उनके निरंतर योगदान के लिए निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी निकायों और सहकारी समितियों को दिया जाता रहा है। इसमें पशु कल्याण पहलों के लिए समर्पित कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधि भी शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वनतारा हाथी एम्बुलेंस का सबसे बड़ा बेड़ा भी संचालित करता है। इनमें 75 कस्टम इंजीनियर्ड वाहन हैं। इसमें हाइड्रोलिक लिफ्ट, रबर मैट फ़्लोरिंग, पानी के कुंड, शावर और केयरटेकर केबिन हैं, जो बचाए गए हाथियों के लिए एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित लाते ले जाते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।