मैं विद्यार्थी नहीं, मज़दूर हूँ! ओ कवियो! ओ लेखको! किसके लिए लिख रहे हो? मेरी दादी बन्नी-मजूरी करती थी अब...
युवमंच
प्रेम संबंध टूटता है समय के कंठ से उत्तर फूटता है प्रेम क्या है ? कबीर का अढ़ाई अक्षर है...
कभी वक्त हो, तो फुरसत से आना वक्त के पहिए पर उलझन को समाना। प्रेम के सागर मे शब्दो को...
मुझे बनानी है जिंदगी में अपनी एक खास पहचान, मुझे बनना है अपने माता-पिता का अभिमान, लाखो मुशकिलो को पार...
ट्रांसजेंडर संतान का दुःख! क्या कोई रोक पाया है कभी आँखों से पकी पीड़ा का टपकना माथे पर श्रम की...
1-उषा प्रात पुष्प था बहुत खिला हुआ जैसे लोहित आसमान का सूरज पृथ्वी पर उतर रहा हो नदी सागर की...
नए कलेवर में वह प्रत्येक अंधकार से लड़ा है और वर्षों से निर्विकार खड़ा है उमस, तपन, धुप, बरखा, सर्द...
उसका शिखर से गिरना पसंद है थके हुए शरीर और संकल्पवान उम्मीद के साथ बंजर और दरकती धरती पर उसने...
हम सब मिलकर दीप जलाएँ इस दिवाली नव दीप जलाएं मन के आँगन को महकाएं। मन के तम को दूर...
भारतीय सेना ही, इस धरा की शान है। प्रवीर सब सेनानी हैं, वसुन्धरा की आन हैं। साहसी पराक्रमी कर्मनिष्ठ हैं...