आंखों से बहा आंसु नहीं होता महज़ पानी होता है असहनीय पीढ़ा का आंखों से छलक जाना होता है भावनाओं...
नारी मंच
मैं और मेरी तन्हाई आख़िर में साथ आ ही जाती हैं, मैं अगर थोड़ा सा दूर हो जाऊं ख़ुद से,...
वक्त कैसा भी हो गुज़र ही जाता है दर्द कैसा भी हो रह ही जाता है, ज़ख्म कैसा भी हो...
कितने सागर डूबे जिसमें । उन्हीं नयनों का नीर हूं मैं॥ हर पल जो जी रहा है डर -डर के।...
हम दोनों को हम दोनों जैसे बहुत मिलेंगे, बस हम ही एक दूजे को ना मिल पायेंगे, सफ़र करते करते...
प्यासा तेरे द्वार पर अपनी आन बान और शान पर नित, सागर क्यूं इठलाए। प्यासा तेरे द्वार पर, प्यासा ही...
मेरे दिल में बस तू ही तू चुपचाप बसा होता है। जैसे सबकी आँखों से छिपा कंजूस का धन होता...
कुछ एक थे जो पुराने किस्सों में बर्बादी हमारी लिख गये आज उन किस्सों के कुछ हिस्सों को बयां करते...
मैं ख़ुश हूं बहुत कि अपनी ख़ुशी की, अब मैं स्वयं ही तलबगार हूं मुझे चाहत नहीं अब तेरे प्यार...