होली में रंगों के उपयोग से पहले पढ़ लें एम्स ऋषिकेश की सलाह, नहीं तो हो जाएगा नुकसान, बरतें ये सावधानी

आज 14 मार्च को होली पर्व है। फिलहाल मौसम विभाग के बारिश के अनुमान के उलट आज सुबह से ही उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आसमान साफ है। सुबह आठ बजे से ही बच्चों ने गली और मोहल्लों में चिल्लपों शुरू कर दी है। ऐसा लगता है कि होली खेलने के लिए बच्चे रात को ठीक से सोए भी ना हों। साल भर में एक बार आने वाले इस होली पर्व पर भी बाजार में केमिकल वाले रंगों की भरमार है। ऐसे रंग आंखों और त्वचा, दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। रसायन मिले इन रंगों से अस्थमा और एलर्जी की शिकायत भी हो सकती है। एम्स ऋषिकेश ने होली पर स्वास्थ्य एडवाईजरी जारी कर सलाह दी है कि होली खेलते समय अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधानी बरतें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लापरवाही पहुंचा सकती है स्वास्थ्य को नुकसान
होली के त्यौहार में रंग लगाते और खेलते वक्त बरती जाने वाली लापरवाही स्वास्थ्य को सीधा नुकसान पंहुचा सकती है। खासकर जब हम होली में प्राकृतिक रंगो की जगह केमिकल युक्त रंगों का उपयोग कर रहे हों तो इसका हमारी त्वचा और शरीर के अन्य भागों में प्रतिकूल असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार इन रंगों से सबसे अधिक हमारी आंखें और चेहरे की त्वचा प्रभावित होती है। ऐसे में जरूरी है कि होली खेलते समय हमें अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे रखें आंखों का खयाल
एम्स ऋषिकेश में नेत्र रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि होली पर अपनी आंखों की देखभाल करना न भूलें। होली के अगले दिन कई लोग आंखों में जलन, दर्द और रोशनी कम होने की शिकायत लेकर आते हैं। डॉ. मित्तल ने बताया कि आंखों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कोशिश करें कि रंगों के छींटें आंखों में न जायं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि होली खेलते समय हमेशा प्राकृतिक और हर्बल रंगों का उपयोग करना फायदेमंन्द रहता है। ये रंग आंखों के लिए कम हानिकारक होते हैं। सलाह देते हुए उन्होंने बताया कि यदि रंग आंखों में चला जाय तो आंखों को तुरंन्त साफ पानी से धोएं लेकिन आंखों को रगड़ने की गलती कतई न करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चेहरे और त्वचा का करें बचाव
त्वचा रोग विभाग के हेड डॉ. नवीन कुमार कन्सल ने बताया कि केमिकल रंगों के इस्तेमाल से चेहरे पर जलन की समस्या हो जाती है। इसके अलावा यदि यह रंग मुंह में चले जायं तो अस्थमा और एलर्जी की शिकायत के साथ-साथ इनसे चेहरा खराब भी हो सकता है। नकली रंगों से अक्सर चेहरे में जगह-जगह दाने निकलना, खुजली होना, त्वचा का लाल हो जाना व त्वचा में जलन पैदा होने की समस्या हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. कंसल ने सलाह दी है कि कोशिश करें कि होली में प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें। बाजार में उपलब्ध ज्यादातर रंगों में पारा, सिलिका, अभ्रक और सीसे का मिश्रण होता है। इस प्रकार के रंगों से त्वचा पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े इसके लिए नारियल या सरसों का तेल लगाना लाभकारी होता है। ताकि त्वचा को नुकसान न पहुंचे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।