बिजली के स्मार्ट मीटर और ऊर्जा निगम के निजीकरण के खिलाफ माकपा का धरना

बिजली के स्मार्ट मीटर और बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ आज राज्यभर में मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी ने प्रदर्शन का आह्वान किया था। इसके तहत किस जिले में या शहर में कहां प्रर्दशन हुए, ये हमें पता नहीं है, लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ऊर्जा भवन के समक्ष धरना दिया गया। इस दौरान ऊर्जा निगम के निदेशक परिचालन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीपीएम ने स्मार्ट मीटर एवं बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित ऊर्जा भवन मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। साथ ही डबल इंजन सरकार पर कारपोरेटपरस्त होने का आरोप लगाते हुए बिजली व्यवस्था को अडाणी और अम्बानी जैसे उद्योगपति को सौपनें की कड़े शब्दों में निन्दा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पार्टी नेताओं ने एक स्वर में ऐलान किया पार्टी सरकार के बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ व्यापक आन्दोलन चलाएगी। वक्ताओं ने कहा कि डबल इंजन सरकार एक के बाद एक सरकारी संपत्तियों को बेचने का फैसला ले रही है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचकर ऊर्जा निगम के निदेशक (परिचालन) मदनलाल आर्य ने ज्ञापन लेते हुए आश्वासन दिया कि वे प्रदर्शनकारियों कि भावनाओं से सरकार को अवगत करायेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्ञापन में कहा गया कि सरकार चोर दरवाजे से बिजली का सम्पूर्ण तरह से निजीकरण करने जा रही है। इसका सीधा नुकसान राज्य की गरीब जनता, किसान तथा मध्यवर्गीय परिवारों को होगा। स्मार्ट मीटर को लेकर सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं, लेकिन ये ढकोसला है। पहले जिओ ने मुफ्त में सिम बांटे। आज उपभोक्ताओं से कई गुना बसूल रहा है। पूरे देश में बिजली क्षेत्र में रिलाइन्स, अडानी, टाटा ग्रुप आदि कम्पनियों की ओर से ज्यादा से ज्यादा आम जनता से धन कमाकर जनता पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि एक अनुमान के अनुसार इन कम्पनियों की ओर से स्मार्ट मीटर की कीमत 7500 रुपये से लेकर 10500 रूपये तय की गई है। इसकी कीमत भी बाद में उपभोक्ताओं को ही चुकानी होगी। इस प्रकार मंहगी बिजली और जोर जबरदस्ती थोपा गया स्मार्ट मीटर लोगों को आर्थिक बोझ साबित होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कहा गया कि कारपोरेटजगत को लाभ पहुंचाने के लिए बिजली के निजीकरण के लिऐ पांच बार लोकसभा में बिजली बिल बहुमत होने बावजूद भी पारित नहीं पाया। इससे पहले भी बाजपेई सरकार 2003 में ऐसा कर चुकी है। अब चोर दरवाजे से उत्तराखंड सरकार बिजली का निजीकरण करने जा रही है, जो कि गैर संवैधानिक है। इससे पहले भाजपा की महाराष्ट्र, उड़ीसा तथा वर्तमान दिल्ली व कांग्रेस की हिमाचल सरकारें चोर दरवाजे से निजीकरण कर अपने कारपोरेट आकाओं की सेवा करने के प्रयास कर रही हैं। इसका जमकर विरोध हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम का संचालन माकपा के जिला सचिव शिवप्रसाद देवली ने किया। समापन एसएस नेगी किया। इस अवसर पार्टी के केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजेन्द्र नेगी, राज्य सचिव राजेन्द्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू जिला महामंत्री लेखराज, किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सजवाण, जिला महामंत्री कमरूद्दीन, पार्टी नेता माला गुरूंग, पुरूषोत्तम बडोनी, भगवन्त पयाल, नुरैशा अन्सारी, एस एफ आई के प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलेठा, महिला समिति की प्रदेश महमन्त्री दमयंती नेगी, नौजवान सभा के संयोजक अभिषेक भंडारी आदि ने विचार व्यक्त किये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन में विजय भट्ट, सुधा देवली, कुसुम नौडियाल, एसएस रावत, अमरबहादुर शाही, यूएन बलूनी, विनोद खंडूरी, सत्यपाल, किरण यादव, हरिश कुमार, विप्लव अनन्त, रविन्द्र नौडियाल, अर्जुन रावत, मनमोहन सिंह, राम सिंह भंडारी, इंद्रेश नौटियाल, उदयराम मंमगाई, सुरैशी, महेन्द्र कुमार, ताजवर सिंह, राजेन्द्र शर्मा, ब्रह्मानन्द, सीमा अंसारी, चन्द्र किरण, नरेन्द्र सिंह, अनिता रावत आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।