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November 12, 2024

हरीश रावत बोले, मुख्यमंत्री जी, आपदा के सवाल पर क्यों आ रहा गुस्सा, केदारनाथ आपदा में सोने वाले आपके पास शोभायमान हैं

चमोली आपदा को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कड़ा हमला बोला। साथ ही केदारनाथ आपदा को लेकर भाजपा की ओर से उठाए जाने वाले सवालों का उन्होंने जबाव दिया।


चमोली आपदा को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कड़ा हमला बोला। साथ ही केदारनाथ आपदा को लेकर भाजपा की ओर से उठाए जाने वाले सवालों का उन्होंने जबाव दिया। कहा कि केदारनाथ आपदा में तीन दिन सोने वाले आपकी पार्टी में शोभायमान हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि त्रास्दी को लेकर उठ रहे सवालों पर आपको इतना गुस्सा क्यों आ रहा है।
गौरतलब है कि नैनीताल जिले के दौ दिनी दौरे में कल मुख्यमंत्री ने चमोली आपदा को लेकर कांग्रेस के सवालों पर कांग्रेस पर ही पलटवार किया था। उन्होंने कहा कि कि कांग्रेस केदारनाथ आपदा के दौरान सोती रही। इसका जवाब बहुत ही कड़े तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरीश रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से दिया। उन्होंने पोस्ट डाली कि-
माननीय मुख्यमंत्री जी, रैणी तपोवन त्रासदी को लेकर उठ रहे कुछ सवालों पर आप इतना गुस्सा क्यों हो रहे हैं? 2013 की आपदा से सबक लेकर हमने त्रासदी स्थल पर पहुंचने में विलंब नहीं किया, एक सबक सही दिशा में लिया गया। मैंने उसका उल्लेख भी किया, लेकिन आवश्यक मशीनरी जिसमें पानी और कीचड़ को पंप आउट करने के ऐसे बड़े फ्लैप पंप, डीलिंग मशीनें और शक्तिशाली जेसीबी मशीनें आदि पहुंचने में हुआ विलंब हमारे चुप रहने से छुप नहीं सकता है।
उन्होंने आगे लिखा कि- उसी प्रकार NTPC प्रोजेक्ट का लेआउट प्लान, बचाव दलों के पास नहीं था, यह तथ्य उजागर हो चुका है। ग्लेशियरों के व्यवहार पर नजर रखना या पॉवर प्रोजेक्ट्स का सेफ्टी ऑडिट लगातार होता रहे और ऐसा नहीं हो रहा है। इसको अस्वीकार नहीं किया जा सकता। फिर क्यों केदारनाथ का उदाहरण दे रहे हैं?
हरीश रावत ने कहा कि- केदारनाथ में जो कुछ हमने, हमारी सरकार ने किया यह उसी का परिणाम है कि देश के प्रधानमंत्री जी को ध्यान लगाने के लिये वहां गुफा मिल गई। आज केदारनाथ में जो भी बचाव और पुनर्निर्माण के कार्य हुये हैं। सब पर 2014-15 व 2016 की मुहर लगी हुई है। और यदि प्रारंभिक 3 दिन सरकार सोती रही तो अब उस सरकार के मुख्यमंत्री आप ही की पार्टी में शोभायमान हैं। आपका गौरव बढ़ा रहे हैं। इतना भर सवाल पूछने के लिए मीडिया का सहारा क्यों लेना पड़ा आपको? आप अपने घर में पूछ लेते न कि भाई साहब तीन दिन आप कहां सोते रह गये? और हमको भी उत्तर बता देते। हम विपक्ष हैं यदि कमियां होंगी तो उनको इंगित करना हमारा विपक्ष धर्म है, मैंने उसी धर्म का पालन किया है।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया। आपदा में अब तक कुल 204 लोगों में 62 शव बरामद हुए हैं। 34 की शिनाख्त हो चुकी है। 28 की शिनाख्त नहीं हुई। 142 लोग लापता हैं। वहीं, 184 पशु हानि भी हुई।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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