विश्व सिकल सेल एनीमिया जागरूकता दिवसः गूगल मीट के जरिये एम्स एक्सपर्ट ने दूर की लोगों की जिज्ञासा
विश्व सिकल सेल एनीमिया जागरूकता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश की ओर से गूगल मीट का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न स्थानों से लोगों ने प्रतिभाग किया और संबंधित बीमारी के बारे में जानकारी हासिल की।
प्रभावित व्यक्ति की संतानों में रोग संचरण की संभावना के सवाल पर चिकित्सकों ने बताया कि यदि पति या पत्नी को कोई वंशानुगत हीमोग्लोबिन और अन्य विकार नहीं है तो सभी संतान रोग वाहक (carrier) होंगे।
इस रोग में जीवनशैली के संबंध में बताया गया कि प्रतिदिन फोलिक एसिड की खुराक लें, साथ ही स्वस्थ आहार चुनें और भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करें। इसके अलावा उन्होंने नियमितरूप से संतुलित व्यायाम करने का भी सुझाव दिया है, साथ ही उनका कहना है कि अत्यधिक व्यायाम से बचने का प्रयास करना चाहिए।
लोगों के सवालों का उत्तर देते हुए बाल रोग विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस रोग में बरती जाने वाली सावधानियों के बाबत बताया। कहा कि अत्यधिक गर्म या बहुत ठंडी स्थिति से बचने की कोशिश करनी चाहिए, कम ऑक्सीजन के स्तर वाली जगहों या स्थितियों से बचने की कोशिश करें, मसलन पहाड़ पर चढ़ना या बहुत कठिन व्यायाम करने तथा अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए। आयोजन में बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. नवनीत कुमार भट्ट, जूनियर रेजिडेंट डा. कंवर, नर्सिंग इंचार्ज लेखराज मीणा आदि ने सहयोग किया।
सिकल सेल एनीमिया का कारण
यह एक आनुवंशिक रोग है। इसमें सामान्य गोल और लचीली रक्त कोशिकाएं कठोर और हंसिया के आकार की हो जाती हैं। इसके कारण वह रक्त कोशिकाओं और ऑक्सीजन को शरीर के चारों ओर स्वतंत्ररूप से घूमने से रोकती हैं।
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण
खून की कमी, थकान, छाती, पेट और हड्डियों में दर्द, हाथों और पैरों की सूजन, बच्चों का विकास देर से होना, बार-बार संक्रमण का होना।
ऐसे लगा सकते हैं सिकल सेल एनीमिया का पता
सिकल सेल एनीमिया का आमतौर पर नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के माध्यम से अथवा हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस परीक्षण के माध्यम से पता लगाया जाता है।
खतरे के लक्षण
सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित व्यक्ति को निम्न में से कोई भी समस्या हो सकती है। ऐसा हो तो उसे शीघ्र अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इस बीमारी के लक्षण में बुखार, हाथ या पैर में सूजन, पेट, छाती, हड्डियों या जोड़ों में तेज दर्द आदि शामिल हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार चिकित्सा विज्ञान में उन्नति के कारण वर्तमान में यह बीमारी लाइलाज नहीं रही,अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से लेकर आनुवंशिक परीक्षण तक सभी सुविधाएं हमारे देश में उपलब्ध हैं। लिहाजा मरीजों को इस बीमारी के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है,जिससे समय रहते इसका निस्तारण किया जा सके।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।