ना जाने कहाँ चला गया वो बचपन, ना जाने कहाँ चले गये वो बेफिक्री के दिन, कभी कंचों की दुकान...
कविता
अपारदर्शी घटना से जब एक भावपूर्ण इंसान का भाव शून्य हो जाता है जब गुजरता है इंसान इस राह से...
ऐसा तो कभी सोचा न होगा कितने अरमान होंगे मन में दबे, कितने सपने आंखों में बसे टूटकर चूर हो...
एक बार फिर कश्मीर जल रहा है, फिर वही आतंकवाद पल रहा है, निहत्थे बेकसूरों को मारकर मर्दानगी दिखाते हैं,...
खून जब बहा धर्म के नाम कल पुलवामा आज पहलगाम, मचाया किसने ये कोहराम मची है चहुंदिश चीख पुकार, खून...
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग खुद के लिए बुरे होते हैं खुद को विचारों के आगोश में थामे नहीं दे...
चलो आज एक सवाल पूछता हूँ, तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ, सत्ता में बैठे सरकारी रोटी सेंकने वालों,...
छोड़ो लौंडे की यारी जैसे गधे की सवारी सीधी साधी बात भारी कहती है यह दुनिया सारी छोड़ो लौडे की...
केवट का उद्धार किया, रावण का संहार किया, जब हरि ने श्री राम रूप में अवतार लिया, माता कौशल्या की...
गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु नहीं मिले नहीं मिले नहीं मिले नहीं...