बसंत पंचमी पर्व पर युवा कवि सूरज रावत की कविता- अरे सुनो बसंत आया है

अरे सुनो बसंत आया है,
फिर सुहाना मौसम आया है,
कुछ नए रंग, कुछ नए ख्वाब साथ लाया है,
अरे सुनो बसंत आया है।
कहीं पनपने लगे कुछ ख्वाब,
कहीं जगने लगे कुछ नए अरमान,
खिल गयी फुलवारियां, खुल गया आसमान,
प्यार का मौसम, इजहार के रंग खिले हैं,
कहीं टूटे बिखरे दिल, कहीं प्यार के सिलसिले हैं,
कोई बिछड़ गया, और कहीं अनजाने साथ मिले हैं,
अरे सुनो बसंत आया है,
फिर सुहाना मौसम आया है। (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
कहीं मिट्टी की महक,
कहीं पंछियों की चहक,
कहीं खिली फुलवारियां,
कहीं नन्हीं किलकारियां,
खेतों में लहलहाने लगी फसल,
बाजारों में मची धूम, फिर वही चहल पहल,
कोई नए ख्वाब ढूंढ़ने निकल गया,
कोई अपनी मंजिल की इंतजार में ठहर गया,
अरे सुनो बसंत आया है,
फिर सुहाना मौसम आया है।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।