प्रचार ज्यादा, समाधान कम, बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई को किया नजरअंदाज: सूर्यकांत धस्माना

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने केंद्रीय बजट 2025-26 को गरीब, बेरोजगार और ग्रामीण भारत के खिलाफ करार दिया। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आज केंद्रीय बजट पर पत्रकारों से अपने कैंप कार्यालय में बातचीत में उन्होंने कहा कि यह बजट केवल प्रचार तक सीमित है, लेकिन जमीनी स्तर पर बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याओं के समाधान में विफल रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बेरोजगारी पर कोई ठोस नीति नहीं
कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि बजट में नौकरी के नए अवसर पैदा करने पर कोई ठोस योजना नहीं दी गई। सरकार ने स्टार्टअप और निजी निवेश को बढ़ावा देने की बात तो की, लेकिन युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों या उद्योगों में रोजगार बढ़ाने का कोई सीधा प्रावधान नहीं रखा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महंगाई रोकने के लिए कोई कदम नहीं
उन्होंने कहा कि बढ़ती खाद्य वस्तुओं की कीमतें, पेट्रोल व डीजल और रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं किया गया। गरीब और मध्यम वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार राशन, गैस, और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर राहत देगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्रामीण भारत की उपेक्षा
उन्होंने कहा कि यह बजट ग्रामीण भारत और किसानों के खिलाफ है। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कोई घोषणा नहीं की गई। न ही किसानों के कर्ज माफी पर चर्चा हुई। गांवों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी कोई बड़ा ऐलान नहीं हुआ, जिससे साफ है कि बजट का फोकस केवल शहरी क्षेत्रों पर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शिक्षा और स्वास्थ्य की अनदेखी
उन्होंने कहा कि बजट में सरकारी स्कूलों और उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कोई नई योजना नहीं लाई गई, जिससे युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। वहीं, स्वास्थ्य क्षेत्र में भी कोई बड़ी पहल नहीं की गई, जिससे आम जनता को राहत मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केवल प्रचार का बजट
सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाया कि सरकार इस बजट को वेतनभोगी वर्ग के हित में बताकर प्रचार कर रही है, लेकिन असल में गरीबों, किसानों और बेरोजगारों की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि यह बजट सिर्फ प्रचार के लिए अच्छा है, लेकिन धरातल पर असफल साबित होगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।