जानिए दुनिया के इन देशों में नहीं दौड़ती है ट्रेन, इन शहरों में नहीं दिखेगी कोई भी गाड़ी, लोग ऐसे करते हैं सफर
दुनिया में सड़क यातायात और रेलवे यातायात आवागमन का मुख्य साधन है। इसके बगैर एक जगह से दूसरी जगह तक जाने की कोई कल्पना नहीं करेगा। आपको हैरानी होगी कि दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जहां ट्रेन का नामोनिशान तक नहीं है। ऐसे देशों की संख्या 27 है, जहां कोई ट्रेन नहीं चलती। ऐसे देशों में कई देश में रेलवे प्रोजेक्ट्स शुरू तो हुए, लेकिन ये कभी भी बहाल नहीं हो सके। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि जहां भारत दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क वाले देशों की लिस्ट में शुमार है। वहीं भारत के पड़ोसी देश भूटान में भी ट्रेन नहीं है। हालांकि इसे भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़े जाने की बात की जाती रही है। वहीं, आपको ये जानकारी भी दे दें कि दुनिया में कुछ ऐसे शहर भी हैं जहां गाड़ियां नहीं चलतीं। इन शहरों में लोग गाड़ियों की जगह और भी कई तरीकों से सफर करते हैं। आइए जानते हैं कि किन देशों में बगैर ट्रेन की सुविधा और बिना गाड़ी के लोग अपनी जिंदगी जीते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भूटान में नहीं चली आज तक ट्रेन
भूटान एक हिमालयी देश है, जहां की भौगोलिक स्थिति बेहद कठिन है। पहाड़ों और घाटियों से घिरे इस देश में रेलवे लाइन बिछाना बेहद मुश्किल और महंगा है। पर्यावरण संरक्षण पर जोर देने के कारण भूटान ने रेलवे का विकास नहीं किया और सड़क मार्गों का ही उपयोग किया जाता है।
आइसलैंड
आइसलैंड अपनी सुंदरता और प्राकृतिक अजूबों के लिए मशहूर है। हालांकि, यह देश रेल मार्गों से अछूता है। यहां की कठोर जलवायु और कम जनसंख्या रेलवे निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं मानी गई। आइसलैंड में लोगों के आवागमन के लिए मुख्य रूप से सड़कें और हवाई मार्ग का उपयोग किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कुवैत में नहीं है रेलवे सिस्टम
कुवैत एक तेल समृद्ध खाड़ी देश है, लेकिन यहां भी कोई रेलवे सिस्टम नहीं है। कुवैत में मुख्य रूप से निजी वाहन और बसों का उपयोग होता है। हालांकि, भविष्य में यहां रेलवे नेटवर्क का निर्माण किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल यहां रेलवे का कोई ढांचा नहीं है। वर्तमान में, कुवैत में कई रेलवे परियोजनाओं को बनाया गया है। देश ने 1200 मील लंबे खाड़ी रेलवे नेटवर्क की योजना बनाई है जो कुवैत सिटी से ओमान के बीच चलेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लिबिया में भी नहीं है ट्रेन
लिबिया में भी रेलवे का कोई अस्तित्व नहीं है। इस देश में तेल के समृद्ध भंडार होने के बावजूद नागरिक उड्डयन और सड़क परिवहन पर अधिक ध्यान दिया गया है। राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक समस्याओं के कारण भी यहां रेलवे नेटवर्क का विकास नहीं हो सका।
यमन
यमन एक मध्यपूर्वी देश है जो दशकों से संघर्ष और अस्थिरता का सामना कर रहा है. इसकी खराब आर्थिक स्थिति और कठिन भौगोलिक स्थितियों के कारण यहां रेलवे नेटवर्क विकसित नहीं हो सका है। लोग मुख्य रूप से सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंडोरा
अंडोरा यूरोप का छठा सबसे छोटा देश है। जो स्पेन और फ्रांस के बीच स्थित है। वहीं, दुनिया में यह 16वें नंबर पर सबसे छोटे देश के रूप में जाना जाता है। इस देश के पास कभी भी रेलवे नेटवर्क नहीं रहा। यहां के लोगों के लिए सबसे करीबी स्टेशन फ्रांस में है और इस देश तक जाने के लिए यहां से बस सेवा चलती है। यहां रेल लाइन ना होने का कारण ये है कि देश बहुत ही छोटा है और पहाड़ों से घिरा हुआ है।
साइप्रस
साइप्रस एक द्वीपीय देश है, जहां कोई रेलवे नेटवर्क नहीं है। पहले यहां रेलमार्ग था, लेकिन 1951 में इसे बंद कर दिया गया। साइप्रस की छोटी भौगोलिक सीमा के कारण रेलवे की आवश्यकता नहीं समझी गई। यहां का परिवहन मुख्य रूप से सड़क मार्ग पर आधारित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन देशों ने ट्रेन तो देखी, लेकिन आगे नहीं बढ़ा कारवां
साइप्रस में कोई रेलवे नेटवर्क नहीं है, लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि इस देश में कोई ट्रेन कभी नहीं चली है, तो आप गलत हैं। 1905 से 1951 तक देश में रेलवे नेटवर्क मौजूद था। उस दौरान ट्रेन ने 76 मील की यात्रा की और 39 स्टेशनों से होकर गुजरी थी। बाद में इस विस्तार को 1974 में बंद कर दिया गया था। लीबिया में पहले रेलवे लाइन्स थीं, लेकिन उन्हें सिविल वॉर के दौरान उखाड़ दिया गया। लीबिया में साल 1965 से ही कोई रेलवे नेटवर्क ऑपरेशनल नहीं है। साल 2001 में रास अजदिर और सिर्ते को जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर काम भी शुरू हुआ था। इसके अलावा रास अजदिर और त्रिपोली को जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर भी साल 2008 और 2009 के बीच काम शुरू हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेलवे नेटवर्क के बिना देशों की रैंक सूची, जहां नहीं हुआ रेलवे का विकाश
1 अंडोरा
2 भूटान
3 साइप्रस
4 पूर्वी तिमोर
5 गिनी-बिसाऊ
6 आइसलैंड
7 कुवैत
8 किब्या
9 मकाओ
10 माल्टा
11 मार्शल द्वीप
12 मॉरिशस
13 माइक्रोनेशिया
14 नाइजर
15 ओमान
16 पापुआ न्यू गिनी
17 कतर
18 रवांडा
19 सैन मैरिनो
20 सोलोमन द्वीप
21 सोमालिया
22 सूरीनाम
23 टोंगा
24 त्रिनिदाद और टोबैगो
25 तुवालु
26 वानुअतु
27 यमन (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दुनिया के इन सात शहरों में नहीं चलतीं गाड़ियां
दुनिया के कई शहरों में गाड़ियों पर पाबंदी है, जिससे यहां का वातावरण साफ और शांत रहता है। लोग सफर के लिए पैदल चलते हैं, साइकिल का इस्तेमाल करते हैं या फिर बोट जैसे अन्य पारंपरिक साधनों का सहारा लेते हैं। इन शहरों में लोगों की जीवनशैली पर्यावरण के अनुकूल होती है और यहां की सड़कों पर गाड़ियों की जगह हरियाली और शांति देखने को मिलती है। आइए जानते हैं इन अनोखे शहरों के बारे में, जहां जीवन बिना गाड़ियों के चलता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माथेरान, भारत
माथेरान, भारत के महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले के कर्जत तालुका में स्थित एक हिल स्टेशन है। यह उत्तरी पश्चिमी घाट का सबसे छोटा हिल स्टेशन है। माथेरान, मुंबई से करीब 90 किलोमीटर और पुणे से 120 किलोमीटर दूर है। माथेरान भारत का इकलौता हिल स्टेशन है जहां गाड़ियों का प्रवेश वर्जित है। यहां आने वाले लोग शुद्ध हवा और शांति का आनंद ले सकते हैं। पर्यटक यहां पैदल, साइकिल या घोड़ा गाड़ी से सफर करते हैं, जिससे प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता। हालांकि, माथेरान का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नेरल स्टेशन है, जो यहां से नौ किलोमीटर दूर है। इसके आगे वाहनों का प्रवेश वर्जित है। आगे जाने के लिए या तो पैदल जाना होगा, या बग्गी, रिक्शे या घोड़ों का प्रयोग करना होगा। साथ ही यहां पहुंचने का सबसे अच्छा साधन यहां की टॉय ट्रेन है।
माथेरान के बारे में कुछ खास बातें
-माथेरान को भारत का एक अनोखा हिल स्टेशन माना जाता है।
-यह एशिया का एकमात्र ऐसा हिल स्टेशन है जहां मोटर वाहनों की अनुमति नहीं है।
-यहां घूमने के लिए कई जगहें हैं, जैसे कि मंकी प्वाइंट, लिटिल चॉक, चॉक पॉइंट, इको प्वाइंट, मनोरमा प्वाइंट, सनराइज और सनसेट प्वाइंट।
-यहां चार्लोट झील भी है, जो प्रकृति की गोद में शांति का अनुभव कराती है।
-माथेरान में पुरानी ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुकला संरक्षित है।
-यहां सड़कें लाल लैटेराइट मिट्टी से बनी हैं।
-माथेरान में रहने और खाने की कोई परेशानी नहीं है।
-माथेरान जाने का सबसे अच्छा समय जनवरी-मई के बीच होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मैकिनैक द्वीप, यूएसए में भी नहीं चलते वाहन
यूएसए में लेक ह्यूरन के मैकिनैक द्वीप पर गाड़ियों का चलना मना है। यहां पर पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखने के लिए लोग साइकिल और घोड़ों का इस्तेमाल करते हैं। यह जगह खासकर उन लोगों को आकर्षित करती है, जो शांति और प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं।
फेस एल बाली, मोरक्को
मोरक्को के फेस एल बाली शहर की गलियां इतनी संकरी हैं कि यहां गाड़ियां नहीं चल सकतीं। लोग यहां पैदल चलते हैं या फिर घोड़े की सवारी करते हैं। इस जगह का खास आकर्षण इसकी पारंपरिक वास्तुकला और शांति है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गिएथूर्न, नीदरलैंड्स
नीदरलैंड्स का गिएथूर्न शहर, जिसे उत्तर का वेनिस भी कहा जाता है। बता दें यहां भी गाड़ियां नहीं चलती हैं। यहां पर लोग नहरों में बोट का उपयोग करके एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। इस शहर की सुंदरता और शांत वातावरण पर्यटकों को खूब भाता है।
हाइड्रा, ग्रीस
ग्रीस का हाइड्रा शहर पूरी तरह से कार फ्री है। यहां टूरिस्ट खच्चर की सवारी से गांवों की सैर करते हैं। इस जगह पर कोई प्रदूषण नहीं है, जिससे पर्यटक प्रकृति के करीब महसूस करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ला डिग्यू, सेशेल्स
सेशेल्स द्वीप के ला डिग्यू टापू पर गाड़ियों की अनुमति नहीं है। लोग यहां साइकिल या पैदल चलते हैं, जिससे यहां का वातावरण साफ-सुथरा रहता है। इस द्वीप की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य लोगों को बहुत आकर्षित करता है।
वेनिस, इटली
इटली में वेनिस दुनिया का सबसे फेमस कार फ्री शहर है। यहां की खूबसूरत नहरें और बैकवाटर लोगों को नावों में सफर करने का आनंद देती हैं। यहां का पानी से घिरा वातावरण इसे खास बनाता है। पर्यटक यहां की शांति और सुंदरता के दीवाने हो जाते हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।