हिंदी कविता, शौर्य वीरता की गाथा में, नाम गबर सिंह अमर हुआ
शौर्य वीरता की गाथा में, नाम गबर सिंह अमर हुआ ।
पराक्रमी पावन धरती पर, वीर गब्बर सिंह शहीद हुआ।
17 साल का वीर गबर सिंह, सैन्य रूप में प्रकट हुआ।
अद्भुत शौर्य साहस के बल, न्यू शैपल में अमर हुआ।
इतिहास दुआएं देता उसको, जो गढ़ सेना का नाम धरा ।
धरा पुत्र वह वीर गबर सिंह, विश्व छितिज नक्षत्र बना ।
मंजूड गांव में जन्मा नायक, महा समर में खूब लड़ा ।
सर्वोच्च शौर्य सम्मान प्राप्त कर, गढ़ माता का नाम धरा ।
बद्रीश जनक जननी सावित्री सतूरी जी संग ब्याह हुआ ।
प्रताप शाह के राज प्रसाद में, माली तक का काम किया।
फौजी वर्दी जब भायी तो लैंसडौन प्रस्थान किया ।
भर्ती होकर गढ़सेना में ,हिटलर का वह काल बना ।
10 मार्च 15 रात को, न्यू शैफल संग्राम हुआ।
लिली के प्रवेश द्वार पर, एक महासंग्राम हुआ।
वीर गबर सिंह कोहनी के बल, आवर्स पुल को पार किया।
कत्लेआम कर दुश्मन का, जर्मन दुर्ग को भेज गया ।
बाधाओं को पार वीर कर, जय बद्रीश उद्घोष किया।
बद्री सुत बद्रीश पियारा, रिपु मर्दन संघार किया ।
जर्मन रक्त से रंग गई धरती, नदी सिंधु सब लाल हुए।
वीर गब्बर सिंह के आगे, जर्मन नाजी नेस्तनाबूद हुए ।
जर्मन सेना तोप ब्रेन गन, एक छोर थी धधक रही ।
एक छोर पर वीर गबर सिंह, था मोर्चा थामें भोर हुई ।
जांबाज सिपाही वीर गब्बर सिंह, बांध कफन सर कूच किया ।
हरा मृत्यु विकराल काल को ,महाकाल का नाम लिया।
जर्मन पोस्ट पर कब्जा करके, मशीन गणों को मोड़ दिया।
अवेध्य जर्मन सैन्य मोर्चा, महावीर ने तोड़ दिया।
परम वीर पराक्रम बल से, वीर गब्बर सिंह रण जीत गया ।
छल प्रपंच से नाजी के, वीर गबर सिंह स्वर्ग गया ।
रॉयल पदवी नाम मिला, रेजीमेंट गढ़ राइफल को ।
सर्वोच्च शौर्य सम्मान विक्टोरिया, क्रॉस मिला गब्बर सिंह को ।
लैंसडाउन में बना स्टेचू, चंबा चौक में मूर्ति लगी।
न्यू शैपल महासमर से ,नाजी जर्मन की चूल हिली ।
कवि का परिचय

नाम -सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।
मूल निवास – हवेली (सकलाना) टिहरी गढ़वाल।
निवास -सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी।
शिक्षा – एम ए (अंग्रेजी, हिंदी) बी एड
उपलब्धियां – विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविताएं, समीक्षाएं, कहानियां,संस्मरण आदि प्रकाशित।
दिव्य – श्री खंड (काव्य कृति)
छंदवासिनी (जय श्री नंदा जी)
पुरस्कार – स्व बचन सिंह नेगी स्मृति सम्मान 2012
भूषण अवॉर्ड 2013
श्री देव सुमन साहित्य शिक्षा सम्मान 2016
हेंवलवनी सम्मान 2019
सचिव – उत्तराखंड शोध संस्थान ,चंबा टिहरी गढ़वाल इकाई।
सेवानिवृत्त प्रवक्ता ( प्रभारी प्रधानाचार्य) रा इ का कांडीखाल, टिहरी गढ़वाल।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।