Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 30, 2025

ललित मोहन गहतोड़ी का गीत- नहीं मिले गुरु

गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु
गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु
नहीं मिले नहीं मिले नहीं मिले
नहीं मिले नहीं मिले नहीं मिले गुरु
ओ मुझे नहीं मिले अभी गुरु…
गुरु गुरु गुरु मेरे 3 मेरे गुरु
जाने कब मिटेगा मेरा गुरूर
गुरूर गुरूर गुरूर मेरा मेरा हजूर…
ओ मुझे नहीं… (जारी, अगले पैरे में देखिए)

तिमिलाई कस्तो भन्छ्यो हजुर
गुरु सोई हुई वेदना जगाएंगे
राम्रो राम्रो राम्रो हजुर
गुरु जी मिल जाएंगे
गुरु मेरे गुरु मुझे गुरु मिल जाएंगे
अज्ञान अंधकार से मुझको निकालेंगे
सर्वस्व अर्पण गुरु को जब मिल जाएंगे
गुरु गुरु गुरु मेरे मेरे गुरु…
ओ मुझे नहीं मिले अभी गुरु… (जारी, अगले पैरे में देखिए)

अपनी सारी बात मैं गुरु जी को बताऊंगा
सारे गिले शिकवे उनसे मिल के मिटाऊंगा
रूठेंगे कभी जब गुरु जी झट से मनाऊंगा
चरण स्पर्श उनको सिंहासन बैठाऊंगा
गुरु गुरु गुरु मेरे मेरे गुरु…
ओ मुझे नहीं मिले अभी गुरु… (जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुरु मेरे गुरु जब गुरु मिल जाएंगे
सिर में हाथ रखकर मेरे मुझको दुलारेंगे
ऊंच नीच दुनिया की सब कुछ बताएंगे
धन्य भाग मेरे जब गुरु मिल जाएंगे
गुरु गुरु गुरु मेरे मेरे गुरु…
ओ मुझे नहीं मिले अभी गुरु… (जारी, अगले पैरे में देखिए)

रूठेंगे जो फिर झट प्यार से मनाऊंगा
चरण स्पर्श गुरु को सिंहासन बिठाऊंगा
अपनी सब बातें गुरु जी को मैं बताऊंगा
सारे गिले शिकवे गले लगके मिटाऊंगा
गुरु गुरु गुरु मेरे मेरे गुरु…
ओ मुझे नहीं मिले अभी गुरु।
रचनाकार का परिचय
रचनाकार ललित मोहन गहतोड़ी काली कुमाऊं चंपावत से प्रकाशित होने वाली वार्षिक सांस्कृतिक पुस्तक फुहारें के संपादक हैं। वह जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट जिला चंपावत, उत्तराखंड निवासी हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page