कैबिनेट में मसला न उठने पर ऊर्जा निगम के कर्मियों में निराशा, नेताओं ने साधी चुप्पी, अगली कैबिनेट का इंतजार
उत्तराखंड में बिजलीकर्मियों की मांगों पर सहमति बनने के बावजूद कैबिनेट की बैठक में उनका मसला नहीं उठने से कर्मियों में रोष है। अब कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश है।
गौरतलब है कि बिजली कर्मचारी पुरानी एसीपी व्यवस्था, पुरानी पेंशन बहाली, संविदा कर्मियों के नियमितीकण जैसी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। उन्होंने छह अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दी थी। इस पर अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की सोमवार चार अक्टूबर को मुख्य सचिव से वार्ता हुई और कर्मचारियों के मांग पत्र पर सहमति बनी। इसके बाद पांच अक्टूबर मंगलवार को मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल की सीएम की अध्यक्षता में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत, ऊर्जा सचिव सौजन्या, प्रबन्ध निदेशक दीपक रावत के साथ वार्ता हुई।
सूत्रों के मुताबिक इस वार्ता में ऊर्जा मंत्री भावुक नजर आए और उनका ये चेहरा काम कर गया। कर्मचारियों की मांगों पर ऊर्जा मंत्री सहमत दिखे। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया गया, लेकिन लिखित समझौते में सिर्फ ऊर्जा सचिव के ही हस्ताक्षर हैं। इसमें हस्ताक्षर न तो सीएम ने किए, न ही ऊर्जा मंत्री ने और न ही मुख्य सचिव ने। आश्वासन पर ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने प्रस्तावित हड़ताल स्थगित कर दी। उन्हें उम्मीद थी कि कैबिनेट की बैठक में उनका मुद्दा जरूर रखा जाएगा। क्योंकि निगम के प्रबंध निदेशक दीपक रावत ने विभाग की ओर ऊर्जा सचिव को बिजली कर्मियों से संबंधित प्रस्ताव भेज दिया था, जिसे कैबिनेट में रखा जाना था।
सूत्र बताते हैं कि इस प्रस्ताव पर शासन की ओर से अड़ंगा लगा है। वित्त विभाग की ओर से ये अड़ंगा है। नतीजन बिजली कर्मियों का मामला लटक गया। यदि जल्द ही इस मामले में कोई निर्णय नहीं होता तो ये अगली सरकार बनने तक लटक सकता है। क्योंकि अगले साल की शुरूआत में प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इसके लिए आचार संहिता कभी भी लग सककती है।
कर्मचारियों में रोष, अगली बैठक में उम्मीद
कैबिनेट की बैठक में मामला नहीं उठने से बिजली कर्मचारियों में रोष है। कर्मियों ने हड़ताल वापसी का भी विरोध किया था। वहीं, बिजली कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री अनिल उनियाल का मानना है कि कैबिनेट की अगली बैठक में इस मसले को रखे जाने की पूरी उम्मीद है। क्योंकि यदि बिजली कर्मियों की शर्तें मान ली जाती हैं तो दूसरे विभागों के कर्मियों की मांगों पर भी निर्णय लेना होगा। ऐसे में पहले शासन स्तर से इससे संबंधित फाइलें क्लियर होनी जरूरी हैं।
वार्ता के बिंदु
वर्तमान समय में कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त कार्मिकों की सेवाशर्तों में प्रतिकूल परिवर्तन न किये जाने के दृष्टिगत तीनों
निगमों में दिनांक 31-12-2016 तक लागू एसीपी की व्यवस्था सीधी भर्ती की नियुक्ति तिथि से प्रथम, द्वितीय, तृतीय क्रमशः 9 वर्ष, 14 वर्ष एवं 19 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर पूर्व में प्रचलित व अनुमन्य पे-मैट्रिक्स में (नॉन फंक्शनल वेतनमान की उपेक्षा करते हुए) दिनांक 01-01-2017 से भी यथावत अनुमन्य कराने के सम्बन्ध में शीघ्र आवश्यक कार्यवाही की जाए।
इस बिन्दु पर विस्तृत चर्चा हुई। मोर्चा द्वारा इस मांग पर जोर दिया गया। इस पर सीएम और ऊर्जा मंत्री ने इस बिन्दु पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेने का विश्वास दिलाया गया।
-वर्तमान तक नियुक्त सभी कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए। इस बिन्दु पर यह सहमति बनी कि शासन द्वारा गठित पेंशन उप समिति को यह बिन्दु रखा जाएगा। शासन द्वारा तत्काल संदर्भित किया जाएगा।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों को मा उच्च न्यायालय, नैनीताल एवं मा० औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी के निर्णयानुसार नियमित किया जाए तथा नियमितीकरण की कार्यवाही पूर्ण होने तक समान कार्य हेतु समान वेतन (महंगाई भत्ते सहित) दिया जाए। इस बिन्दु पर यह भी निर्णय लिया गया कि विशेष ऊर्जा भत्ता सभी उपनल के कार्मिकों को दिया जायेगा।
-नवनियुक्त सहायक अभियन्ताओं, अवर अभियन्ताओं एवं तकनीकी ग्रेड-द्वितीय को पूर्व की भाँति क्रमशः 3, 2 व 1 प्रारम्भिक वेतनवृद्धियों का लाभ देते हुए वेतनमान निर्गत किया जाए। इस बिन्दु पर उत्तर प्रदेश से सूचना प्राप्त करते हुए मार्गदर्शन के लिए मंत्रीमण्डल के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया जाएगा।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में सातवें वेतन आयोग के अनुसार कार्मिकों को अनुमन्य विभिन्न भत्तों का रिवीजन अभी तक नहीं हुआ है, इस विषय में तत्काल कार्यवाही की जाए। इस बिन्दु पर बोर्ड की सहमति बनी है और निर्देश निर्गत किये जा रहे हैं।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में निजीकरण की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अभियन्ता, अवर अभियन्ता एवं लेखा संवर्ग इत्यादि में कार्मिकों की नियमित भर्ती की जाए। अवगत कराया गया कि निजीकरण का कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता एवं रात्रि पालि भत्ता दिया जाए। इस बिन्दु पर रात्रि पालि भत्ता दिये जाने के आदेश निर्गत किये जा रहे हैं।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में वर्षों से लम्बित TG-II से रिक्त अवर अभियन्ताओं के पदों पर अविलम्ब पदोन्नति की जाए। इस बिन्दु पर निगमों द्वारा कार्यवाही की गयी थी और आंशिक रूप से पदोन्नतियां भी की गयी हैं। मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्यवाही करके एक महीने के अन्दर कार्यवाही सम्पूर्ण करने के निर्देश दिये गये।
-यूजेवीएनएल में वर्ष 2019-20 हेतु उत्पादन बोनस, पिटकुल में 2018-19 एवं 2019-20 हेतु बोनस एवं उपाकालि में 2019-20 हेतु सभी कार्मिकों (नियमित/संविदा) को लाईन लॉसेस कम करने एवं लक्ष्य से ज्यादा राजस्व वसूली प्राप्त करने पर नियमित रूप से बोनस दिया जाए। इस बिन्दु पर यूजेवीएनएल एवं पिटकुल बोर्ड से अनुमति प्राप्त हो चुकी है एवं आदेश निर्गत किये जा रहे हैं।
-सीधी भर्ती में नियुक्त कार्मिकों को 31-12-2015 तक अनुमन्य वेतनमान / ग्रेड पे अनुमन्य किया जाय। अवर अभियन्ताओं का ग्रेड वेतन दिनांक 01-01-2006 से 4800 किया जाये। चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों को तृतीय समयबद्ध वेतनमान, अवर अभियन्ताओं के मूल वेतन 4600 पूर्व की भाँति दिया जाए। सहमति बनी कि तीनों बिन्दुओं पर वेतन पुनरीक्षण हेतु गठित समिति पर विचार हेतु प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
-01.01.2009 से अवर अभियन्ताओं को ग्रेड वेतन 4600 दिये जाने हेतु प्रस्ताव का परीक्षण शासन में भेजकर शीघ्र निर्णय लेने हेतु सहमति बनी।
-सम्पूर्ण सेवाकाल में एक बार पदोन्नति में शिथिलीकरण का लाभ दिया जाय। इस सम्बन्ध में बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया कि शासन द्वारा शिथिलिकरण स्थगित कर दिया गया है। शासन स्तर पर भविष्य में जो भी निर्णय लिया जायगा, उसके अनुरूप ही अग्रेत्तर कार्यवाही की जायगी।
-राज्य के तीनों ऊर्जा निगमों (उपाकालि/ यूजेवीएनएल/पिटकुल) का एकीकरण किया जाए। इस बिन्दु पर परीक्षण किया जायेगा।
-सेवा नियमावली में किसी भी संवर्ग की सेवा शर्त पूर्ववर्ती उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद की सेवा शर्तों से कमतर न हो। इस बिन्दु पर यह अवगत कराया गया कि नई सेवा नियमावली जो बन रही है, उसपर इसका ध्यान रखा जायेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।