कोरोना महामारी: शमशान में लकड़ी का टोटा, यहां की सुध भी लीजिए सरकारः भूपत सिंह बिष्ट
कल रात कौलागढ़ के पूर्व प्रधान अनुज नौटियाल को फोन आया। उन्होंने कहा कि- टपकेश्वर शमशान घाट में लकड़ियां तेजी से खत्म हो रहीं हैं और तत्काल व्यवस्था होनी है। मुख्यमंत्री आफिस तक सूचना हो जाती तो सबका भला हो जायेगा। रात भर उलटे सीधे सपने आए। दाह संस्कार में लकड़ी की बाधा और अस्थियां प्रवाह के दृश्य भयभीत करने लगे तो सुबह सबसे पहले उठकर टपकेश्वर मोक्ष धाम का रूख किया और देखकर जान में जान आयी कि एक भंडार खाली है और दूसरे में अभी सप्ताह भर की व्यवस्था चल सकती है।
कैंट शमशान घाट सेवा समिति के अध्यक्ष नारायण पाल सिंह ने फोन पर बताया कि हमारी समस्या सस्ते दामों पर लकड़ी उपलब्ध कराये जाने की है और अधिकारी इस समस्या पर गौर नहीं कर रहे हैं। लकड़ी का ढुलान और फाड़ने पर भी धन खर्च करना पड़ता है। गिली लकड़ी का सूखने के बाद वजन भी कम हो जाता है
कैंट शमशान घाट सेवा समिति में नारायण पाल सिंह, अध्यक्ष और आशीष कुमार सचिव के पद पर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। नारायण पाल सिंह ने कहा कि पिछली बार भी लाकडॉउन में लकड़ी की समस्या हो गयी थी। हमने तब एसडीएम से संपर्क किया कि हमारे लिए लकड़ी ढोने की व्यवस्था करायें।
जवाब मिला था कि हम गाड़ी के आने जाने का पास बना देंगे। गाड़ी की व्यवस्था आप खुद कर लें और हमें गाड़ी का नंबर बतायें। सरकारी उपेक्षा के बाद हमारे अनेक सहयोगी मदद के लिए आगे आये और स्थानीय ठेकेदारों की मदद से शमशान घाट के लिए लकड़ी की सुचारु व्यवस्था बन पायी।
इस बावत पिछले दिनों मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से हमारे सहयोगी मधुसूदन शर्मा मिले हैं और उन्होंने बताया कि लावारिश कोरोना मृतकों के लिए ही लकड़ी की व्यवस्था सरकार कर रही है। फिलहाल लकड़ी की आपूर्ति कराने के लिए डीएम साहब को आदेशित किया गया।
बताया कि कल हमारे सचिव के पास एसडीएम का फोन आया। बोले – डीएम साहब के पास मुख्यमंत्री का आदेश आया है कि शमशान घाट में लकड़ी की व्यवस्था होनी है, सो हम चंद्रबदनी वन विभाग के डिपो से लकड़ी उठवा देते हैं, लेकिन धन ओर वाहन का प्रबंध आपका रहेगा।
उन्होंने बताया कि हम वन विभाग की ओर से बाजार भाव से बेची जा रही लकड़ी खरीदने की स्थिति में नहीं है। वन विभाग और एफआरआई जैसे संस्थान चाहते हैं कि शमशाम घाट के लिए भी लकड़ी बोली देकर खरीदी जाये और आज के हालात में यह किसी शमशान घाट के लिए संभव नहीं है।
कैंट शमशान घाट सेवा समिति दाह संस्कार के लिए 750 रूपये प्रति कुंतल लकड़ी उपलब्ध कराती है और 3100 रुपये तथा बाबा को कर्मकांड के लिए छह सौ रूपये देकर यहां दाह संस्कार हो रहा है। दूसरी ओर लक्खीबाग, देहरादून में चार से छह हजार लकड़ी और एक हजार क्रियाकर्म के चुकाने पड़ते हैं।
नारायण पाल सिंह चाहते हैं कि नई तीरथ सरकार रियायती दरों पर शमशान घाट के लिए लकड़ी मुहैया कराये। ताकि कोरोना काल में बढ़ते शवदाह संस्कारों के लिए लकड़ी की बाधा न आने पाये। सरकार इस आपदा काल की महामारी को देखते हुए शमशान घाट में रियायती दरों पर लकड़ी आपूर्ति करने के लिए एफआरआई व वन निगम को स्पष्ट आदेश जारी करे। हमें शवदाह के लिए सस्ती लकड़ी मिलेगी तो हम रेट कम करने को हमेशा तैयार हैं। साथ ही हमें मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने में लकड़ी की रशीद भी जारी करनी पड़ती है।
पूर्व सांसद तरूण विजय ने अपनी सांसद निधि से पांच लाख टपकेश्वर शमशान घाट में एक हाल, प्रतीक्षालय और स्नानागार के लिए वर्ष 2012 – 13 में जारी किए हैं। इसी प्रकार ओएनजीसी ने भी कम लकड़ी से दाह संस्कार करने के लिए अपना सहयोग कर शमशान घाट को व्यवस्थित किया है। कई दानदाताओं के सहयोग से टपकेश्वर मोक्ष धाम की स्थिति अभी तक बेहतर है और देश के लिए अपनी शहादत देने वाले रणबांकुरों का यहां अंतिम संस्कार होता आया है।
लेखक का परिचय
भूपत सिंह बिष्ट
स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।