अशोक आनन की कविता- देश पूरा चरना
देश पूरा चरना
जुलूस, रैली, प्रदर्शन, धरना।
मांगें हमारी मानो वरना ?
देश हितों से हमें क्या लेना,
हमें तो हमारा भला करना।
चाहे कितनी बागड़ लगा लो,
हमें तो यह देश पूरा चरना।
लहर के साथ हमें कब बहना
हमें तो खपरैल – सा टपकना। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
चाहे कितना तुम हमें डरा लो
हमें तुमसे अब नहीं डरना।
बहुत भर दिया पेट तुम्हारा
अब हमें यह पेट नहीं भरना।
बहुत सह चुके मौसम की मार
इनसे और नहीं हमें मरना।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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