उत्तराखंड और दिल्ली एनसीआर, जम्मू कश्मीर में आए भूकंप के दो अलग अलग झटके, दहशत
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बसंत पंचमी के दिन भूकंप के दो अलग अलग झटकों से लोग दहल उठे। पांच फरवरी को भूकंप के दो झटके आए। पहला झटका उत्तराखंड के उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्र में आया।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की वेबसाइट के मुताबिक, उत्तराखंड में तड़के करीब 3 बजकर 15 मिनट 59 सैकेंड में भूकंप का झटका महसूस किया गया। इसकी तीव्रता रिक्टर स्कैल पर 3.6 दर्ज की गई। इसका केंद्र उत्तरकाशी जिले में जमीन के भीतर दस किमी की दूरी पर था। इससे पहले 25 जनवरी को उत्तराखंड में भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया था। तब पिथौरागढ़ जिले और आसपास के इलाके में 4.3 तीव्रता का भूकंप आया था। फिलहाल आज के भूकंप से किसी नुकसान की सूचना नहीं है।
जम्मू कश्मीर सहित दहला दिल्ली एनसीआर
आज (शनिवार को) दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.7 रही। अफगानिस्तान के हिंदु कुश में इस भूकंप का केंद्र रहा। जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। आज सुबह 9 बजकर 56 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। झटके महसूस होने के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप के दौरान सीलिंग फैन और घर में रखा सामान हिलता हुआ दिखाई दिया।
भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तरकाशी और चमोली में आ चुके हैं बड़े भूकंप
उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। फिर इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।