गढ़वाली में सरस्वती वंदना: त्यारो रूप च माता निराळा, रचियता-शिक्षिका उषा सागर

त्यारो रूप च माता निराळा
त्यारा गळा मा मोत्यों की माळा
कमल आसन मा त्यारो डेरा
रैंदू हथ्यों मा माळा कु फेरा
मुण्ड मुकुट भलू सजदू
म्यारो मन भी त्वैमा ही लगदू
हंसै की च त्येरी सवारी
कन भली लगदी त्वैमा च श्वेत साड़ी
अपणा मन सब त्वै थै ध्याला
त्यारा गळा मा मोत्यों की माळा
जन वीणा बजौंदी स्वांणी
तनि मीठी च तेरी वाणी
सुर, लय, छंद, ज्ञान अपार
आयूं शरण त्येरी, त्यारा हि द्वार
त्येरी वीणा की सूणी तान
जीव जंतु भी लगदीं ध्यान
त्येरी सूरत आंख्यों मां बसाला
त्यारा गळा मा मोतियों की माळा
त्यारो रूप च माता निराला
त्यारा गळा मा मोत्यों की माळा
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।