युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- विचारों में नकारात्मकता का प्रवेश यूं ही नहीं होता

विचारों में नकारात्मकता का प्रवेश यूं ही नहीं होता,
साफ मन का छले जाना,
अलगाव का भाव मिल जाना,
सही वक्त पर साथ न मिल पाना,
विश्वास का कत्ल हो जाना,
समय पर सही दिशा का मार्गदर्शक न मिल पाना,
अनंत ठोकरों से अकेले झूझते जाना,
असफलताओं में अनेकों तंज पाना,
सही वार्ता को गलत तरीके से परोस देना,
समाज में अस्वीकार, परिवार में दुत्कार
एक जीवन जीने के लिए
कई बार लफ्जों का घातक वार,
संयम रख अकेले झुंझ खुद को संभाल
इन अनेकों अकाल्पनिक लड़ाइयों से खुद संजोए रखना,
सामाजिक तत्व का हिस्सा न बन पाना। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूसरों के विचारों का तो खुद तक आने देना,
मगर खुद के विचारों का खुद में ही दफ्न हो जाना,
जिन परिस्थितियों में मनुष्य आत्महत्या कर ले,
उन परिस्थितियों में भी खुद को मजबूत बनाए रखना,
विचारों में समाज का प्रतिद्वंद्वी सी झलक लाजमी है,
लाजमी है जुबां का कड़वा हो जाना,
घुटकर मर जाने से अच्छा है,
खुद के विचारों के आगोश में समाकर,
खुद को खुद के हवाले कर देना,
लाजमी है विचारों में नकारात्मकता का प्रवेश कर जाना।
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।