दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर पढ़िए ये शानदार रचना-चलो दीप जलाएं
चलो दीप जलाएं
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
हर घर जो, उजियाला फैलाएं
सूने पड़े द्वारों को सजाएं
आते जाते राही को राह दिखाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
शिक्षा की बाती लगाएं,
तप,साधना का तेल जलाएं,
दीया भविष्य निर्माता को बनाएं,
आओ ऐसा एक भाग्य जगाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
आंधी से न बुझ पाए जो,
कभी न खत्म हो जिसकी लौ।
हर पल दे उजियाला जो,
चलो ऐसा कोई दीप बनाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
सूने पड़े घर आंगन जिनके,
नई आशाओं से महकाएं,
मां के खाली दामन को,
नव स्वपनिल पुष्पों से सजाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
कूड़ा बीनते हाथों में,
एक कलम पकड़ाएं।
कांधे लटके थैलों में,
कुछ पुस्तक सजाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
कोठर छुपे जो पंछी,
चलो उन्हें मस्त अम्बर घुमाएं।
बेपरवाह घूमने वालों को,
एक सुंदर सा घर बनाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं।
चलो सखी कुछ ऐसे दीप जलाएं,,,,,
कवयित्री का परिचय
सन्नू नेगी
सहायक अध्यापिका
राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल सिदोली
कर्णप्रयाग, चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।