Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 20, 2024

शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-ज्योतिर्मय तू ज्योतिरूप बन

1 min read
शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-ज्योतिर्मय तू ज्योतिरूप बन।

ज्योतिर्मय तू ज्योतिरूप बन
अंधकार से लड़ता चल।
ज्योतिर्मय तू ज्योति रूप है ,
ज्योति पुंज बन तम हरता चल॥

ये अंधियारे तुझे डरायेंगे ।
नित बुराइयाँ फैला- फैला कर,
उजालों को दूर भगाएंगे॥
किंतु बादल कितना भी भारी हो
सूरज को छुपा ना पाएगा॥

ऐसे ही तू चीर अंधेरे
जल्दी उजियाले लाएगा।
अंधकार से लड़ता चल।
ज्योतिपुँज तू ज्योति रूप है,
ज्योति बन तम को हरता चल ॥

सूरज की किरणों से सात रंग ले
जग को जगमग करता चल।
जग में फैली बहुत बुराई ,
पर तू अच्छाई करता चल।
स्वार्थ के रिश्ते यहां बहुत हैं
निस्वार्थ प्रेम तू करता चल ॥
ज्योतिर्मय तू ज्योति रूप है,
जग को जगमग करता चल॥

जिसने जैसा भी बोया है ,
वो वैसा ही तो काटेगा॥
सत्य , ज्ञान, निस्वार्थ प्रेम से ,
तू जग का अँचल भरता चल।
हैं अँधियारे ये बहुत घनेरे,
तू अंधकार से लड़ता चल ,
ज्योतिर्मय तू ज्योति पुँज है।
जग को जग- मग करता चल॥

अंधियारे के विपिन घनेरे
तू उजियारे की कटार ले
ज्योति बीज नित् बोता चल
फसल उगेगी उजियारे की
जग ,जग-मग हो जाएगा।

अंधकार तम हरने को इकदिन
सूरज भी खुद तेरे संग आएगा ।
तू अंधियारे से लड़ता चल ।
ज्योतिर्मयी तू ज्योति रूप है
जग को जगमग करता चल।

असत् पर विजय नित् सत की होती
बुराई नित अच्छाई से हारी है।
अँधियारा जग को निगल न पाए
तू खुशी रश्मि बिखराता चल ॥
ज्योतिर्मय तू ज्योति पुँज है
जग – मग जग को करता चल।

कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रो. एवं हिंदी विभागाध्यक्ष
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड। (लेखिका देहरादून में डीएवी छात्रसंघ के पूर्व लोकप्रिय अध्यक्ष एवं भाजपा नेता विवेकानंद खंण्डूरी की धर्म पत्नी हैं। कविता और साहित्य लेखन उनकी रुचि है)

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *