कवयित्री शर्मिष्ठा के काव्य संग्रह ‘एक हलफनामा’ का लोकार्पण शनिवार सायं देहरादून स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार...
poetry
कितने सागर डूबे जिसमें । उन्हीं नयनों का नीर हूं मैं॥ हर पल जो जी रहा है डर -डर के।...
आज़ादी का हुआ सवेरा। पक्षी खुशियों से फ़िर चहके। फूल ख़ुशबू से फ़िर महके। कलरव का फ़िर हुआ बसेरा। मावस...
दोहा कर जोड़ी वंदन करूं, गुरु को शीश झुकाय। रामकथा तुमसे कहूं, हनुमत निकट बिठाय चौपाई सरयू तीरे है इक...
घटाओं की छलक पड़ी सुराही। धरती की सूखी चुनरी भींगी। वेणियों ने खुल पत्तियां सींची। पनघटों पर मची आवाजाही। बूंदों...
उजियारे दिन, काले हो गए। मौसम, बादल वाले हो गए। दीयों का नहीं दोष ज़रा - सा तम के साथ...
दिल में खोट है राम की सिर्फ़ ओट है। वरना दिल में खोट है। चरण उनके चूमेंगे जो भी उनके...
हाथों की चंद लकीरों से हम लिखते रहे किस्मत सदा। आड़ी, तिरछी, गोल लकीरें। लिखें हमारी ये तक़दीरें। लकीरों के...
उत्तराखंड का गांधी बूढ़ा गांधी देखा मैंने, प्रथम बार पचहत्तर में, गंजे सिर पर पीछे अलके, चंद्रकांएं थी गालों पर।...
धन दौलत आप की है के बाप की है... आप की है के बाप की है... लुटा रहे जो धन...