युवा कवि सूरज रावत की कविता- जंग करना इतना आसान नहीं

जंग कह देना आसान है,
जंग करना इतना आसान नहीं,
श्रद्धांजलि देना आसान है,
शहीद होना इतना आसान नहीं,
बेशक़ सैनिक हमारी शान हैं,
पर सैनिक होना इतना आसान नहीं,
जरा महसूस करो उस माँ के दिल की व्यथा,
जिसका एकलौता लाल सरहद पर है तैनात,
जरा पूछो उस महिला के दिल का हाल,
जिसका सुहाग सरहद पर जंग लड़ रहा है दिन रात, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
जरा सोचो उस मासूम के बारे में,
जिसका पिता देश के लिए अपना फर्ज निभा रहा है,
जरा समझो उस बुजुर्ग बाप के दिमाग़ का बोझ,
जिसका बेटा देश की खातिर अपने प्राणों को बिछा रहा है,
सोचो क्या चैन से सो पाता होगा उस सैनिक का परिवार,
जो सरहद पर दिन रात तैनात खड़ा है लेकर हाथों में हथियार,
वो सरहद पर जंग लड़ रहा है देश की खातिर,
घर में माँ का दिल छलनी हो रहा है उसकी सलामती की खातिर, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
जरा सोचो उसकी माँ, बहन, बीवी, के बारे में,
जिसने ढंग से ना खाया होगा,
और ना पूरी रात वो ढंग से सोयी होगी,
ना जाने कितने दर्द और कितने आँसूं छुपाये होंगे,
और ना जाने कितनी बार वो छुप छुप कर रोयी होगी,
जंग कह देना आसान है,
जंग करना इतना आसान नहीं।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।