ज़िन्दगी की धूप में मिला न कोई साया। तपते रहे दुपहर में खपरैलों की तरह। उधड़ते रहे फफोले थिगड़ैलों की...
Poet
रहते हैं हम डरे - डरे से। ज़िंदा रहकर मरे - मरे से। हरे - भरे थे जो खेत कभी...
हम कहें, तुम सुनो; तुम कहो, हम सुनें आओ! बैठो बातों का स्वेटर बुने। उम्र का छौना भागा जा रहा...
एक - एक वोट को आसमां से गिर वे, खजूर में अटक रहे हैं। एक - एक वोट को जो,...
देख तमाशा हँसता है सच खाना-दाना ढूँढ रहा सच, कलयुग की खलिहानों पर। देख तमाशा हँसता है सच, दो दिन...
घर के बिना झूठ हमसे कहा नहीं जाता। सत्य उनसे सहा नहीं जाता। भले हमारे ख़िलाफ़ हो हवा उसके संग...
हमने बीने पत्तल जंगल के राहों में कोई मारा पत्थर बीच बीच बाजारों में चूल्हे के अंगीठियों में हमने झोंके...
गांव नहीं छूटा हमसे आज भी गांव नहीं छूटा। जिस गांव में हमने देखे सपने। उन्हें सच किया वो ग़ैर...
मानव धर्म शिखा मैं हिन्दू हूं वह मुस्लिम है, यह दृष्टि बदल डालो। मानव हो तो मानवता का, दुःख दर्द...
गालीबाज संसद शर्मसार हो गई। प्रतिष्ठा तार- तार हो गई। लोकतंत्र की थी जो गरिमा बद होकर बाज़ार हो गई।...