एक - एक वोट को आसमां से गिर वे, खजूर में अटक रहे हैं। एक - एक वोट को जो,...
Poet
देख तमाशा हँसता है सच खाना-दाना ढूँढ रहा सच, कलयुग की खलिहानों पर। देख तमाशा हँसता है सच, दो दिन...
घर के बिना झूठ हमसे कहा नहीं जाता। सत्य उनसे सहा नहीं जाता। भले हमारे ख़िलाफ़ हो हवा उसके संग...
हमने बीने पत्तल जंगल के राहों में कोई मारा पत्थर बीच बीच बाजारों में चूल्हे के अंगीठियों में हमने झोंके...
गांव नहीं छूटा हमसे आज भी गांव नहीं छूटा। जिस गांव में हमने देखे सपने। उन्हें सच किया वो ग़ैर...
मानव धर्म शिखा मैं हिन्दू हूं वह मुस्लिम है, यह दृष्टि बदल डालो। मानव हो तो मानवता का, दुःख दर्द...
गालीबाज संसद शर्मसार हो गई। प्रतिष्ठा तार- तार हो गई। लोकतंत्र की थी जो गरिमा बद होकर बाज़ार हो गई।...
बचपन अपना बचपन बचाके रखना। भूल न जाना बचपन के खेल। पल में झगड़ना पल में मेल। गुड्डा - गुड़िया...
हम रोशनदान हैं! हम दीवार नहीं रोशनदान हैं। हमसे आती है रोशनी घर में। हमारी भाती है उपस्थिति घर में।...
ज़िंदगी कंदील हो गई आईनों के शहर में चेहरों पर नक़ाब है। हवाओं को आने की इजाज़त नहीं है। ताका-झांकी...