नाटक सुन चेतुआ ना रार कर... नाटक ना बार बार कर... सुंदर शब्दों का संचय कर नित जीवन अपना उदय...
Poet
तलाश मैं न जाने क्यों खुशी की, तलाश में यूं ही भटकता रहा। कभी वो न मिली मुझे मैं उसकी...
हृदय में बह रही प्रेम की धारा आज न जानें मेरे हृदय में क्यों, बह रही प्रेम की रस धारा।...
सुन चेतुआ ओ चेतुआ... सुन चेतुआ, सुन सुनैतू गुन चेतुआ... सुन चेतुआ सुनिले बाबू, मुख मुखैको ज्ञान चेतुआ... देख चेतुआ...
वक्त क्या क्या सिखा देता है अरे वक्त तुम, क्या क्या सिखा देते हो। कभी हसातें तो, कभी रुला ही...
ताले की चाबी रक्खी है। कितनी खुशफहमी रक्खी है।। तुमने यारब मन में अपने। भर कितनी तल्खी रक्खी है।। अपना...
मातृभूमि के वीर जवान हे! मातृभूमि के वीर जवान, जज्बा इतना क्यों बड़ा है। वतन की खातिर ही तो आज,...
जरा संभल इंसान जरा संभल कर रह इंसान यहां, प्रकृति पर तेरा एहसान होगा। मत कर प्रकृति से छेड़छाड़ अब,...
मन की उलझनें जीवन की अनसुलझी उलझनें, क्यों आज मुझे उलझा रही हैं। निकलूं कैसे उलझनों के भंवर से, उलझनें...
प्रेम का बीज बोकर तो देखो इस बंजर माटी में ए मानव तुम, प्रेम का बीज बोकर तो देखो। चारों...