जीवन-दर्शन एक जगा कख, कबि-रुकि पा जीवन. कबि सुखित, कबि- दुखि रा जीवन.. मस्त तभी-तक, जब तक छौ बचपन. समझ...
साहित्य
टालु कुजणि कख हरचि सु टालु, जु छोटु भि रौन्दू छौ अर बडु भी कुजणि कख हरचि सु टालु जु...
तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै.... तेरी बक बकवास कि कूछै दिन रात तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन...
नेगी दा! गीत हम भी लांदा बोल हम भी लिखदा|| गीत हम भी सुणदा, गीत हम भी जणदा|| नेगी दा...
बाखुलि बांजि बांजि... ओखुली माटा पाटा भरी गई छना बाखुली बांजि बांजि पड़ि रई छना देलि आंगन नानतिना हस्नि खेलनि...
बेरोजगारी की भूख आज उठ रही हिरदय में मेरे। न जानें क्यों इक हूक।। क्यों बेरोजगारी तगमा लिए। आ रही...
भूत भविष्य और वर्तमान तुम तीनों कालों के ज्ञाता हो। तुम मृत्युंजय हो, तुम अभयदान वर दाता हो।। तुम जान...
जीवन कि सच्चै यूँ आख्यूंन जो देख्याल़, वी च सच्चू. ज्यूम धरी जो बांच्याल़, वी च सच्चू.. छ्वीं बतौं म-अधा...
सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं भाषा वैज्ञानिक डॉ. मुनि राम सकलानी मुनींद्र की ओर से रचित कविता संग्रह 'अनुभूति के स्वर' का...
यूं ही रहो मेरे प्रभु आज मैं पहुंची जहां हूं, तुम मुझे लाए यहां । बात वो आती मुझे, जो...