अशोक आनन का गीत- नदियां

नदियां
नदियां चलकर
घर तक आईं।
घर भी डरकर
कांपे थर – थर।
माटी के घर
हैं जो जर्जर।
आफ़त चलकर
घर तक आई।
नाव सरीखे
बर्तन बहते।
लत्ते उनसे
आगे रहते।
बाढ़ें चलकर
घर तक आईं।
घर के सपने
जल में डूबे।
धरे रह गए
सब मंसूबे।
चकिया चलकर
घर तक आई।
घर की चमड़ी
बारिश उधड़े।
इतने ज़्यादा
हालत बिगड़े।
दुखिया चलकर
घर तक आई।
कवि का परिचय
अशोक ‘आनन’, जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।