रुपया गिरा रे, दुनिया के बाजार में, आईसीयू में पहुंचा, विदेशी वस्तुएं होंगी महंगी, समझिए करेंसी की कीमत का गणित
एक समय ऐसा था जब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने पर केंद्र सरकार पर हमले बोलते थे। वह इसे देश के पतन और सरकार की असफलता से जोड़ते थे। ऐसे वीडियो आप गूगल में सर्च कर सकते हैं। तब तो मोदीजी सब्जी विक्रेता का जिक्र करते थे, जो रुपये गिरने की चिंता करता था। अब नरेंद्र मोदी की सरकार में रुपया आईसीयू में पहुंच गया है। दुनिया के बाजार में रुपये की कीमत लगातार गिर रही है। गाना याद आया कि झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में। यही हाल रुपया का हो गया है। दुनिया के बाजार में निरंतर गिर रहा है। स्थिति ये है कि आज रुपया पहली बार 85 के लेवल के नीचे जा गिरा है। करेंसी मार्केट में रुपया 12 पैसे की गिरावट के साथ एक डॉलर के मुकाबले 85.06 रुपये के लेवल के नीचे जा फिसला है। अब ऐसे में मोदी सरकार और उनके मंत्री इस पर क्या तर्क देते हैं, ये देखने की बात है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रुपये पर इन कारणों से माना जा रहा है दबाव
अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने महंगाई दर का अनुमान 2025 के लिए बढ़ा दिया है, तो ब्याज दरों में केवल दो बार कटौती करने की बात कही है। इसके चलते रुपये पर दबाव देखा जा रहा है। ऐसे में रुपया आज यानी 19 दिसंबर को अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर पहुंच गया है। यह 85.06 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर ओपन हुआ। इससे पहले 18 दिसंबर 2024 को डॉलर के मुकाबले रुपया 84.94 पर बंद हुआ था। न्यूज एजेंसी रॉयर्स के मुताबिक, रुपए में इस गिरावट की वजह हाल ही में ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑइल की कीमतों में बढ़ोतरी और भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेशकों के जरिए की जा रही बिकवाली शामिल है। इसके अलावा जिओ पॉलिटिकल टेंशन्स कारण भी रुपए पर नेगेटिव असर पड़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के आम लोगों पर इस तरह पड़ेगा असर
अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो सबसे पहले इसका असर आयात पर पड़ेगा। विदेश से चीजों को खरीदने में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा। इसकी वजह से आयात के बाद देश में वो चीजें भी आपको महंगी मिलेंगी। उदाहरण के तौर पर तेल, गैस, खाद्य और पेय पदार्थ जैसे क्षेत्र जो कच्चे माल का आयात करते हैं। उन्हें ये सारी चीजें मंहगे दामों पर खरीदनी पड़ेंगी। इसके बाद आपको इन चीजों के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे। इसका बोझ सीधा आपकी जेब पर पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर साधा निशाना
रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के ने सोशल मीडिया एक्स पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि रुपया आज अब तक के सबसे निचले स्तर — 85 को पार कर चुका है। हमारा Trade Deficit अब सबसे अधिक बढ़ गया है। “मार्गदर्शक मंडल”, “ICU”, “रुपया गिरा नहीं, डॉलर बढ़ा” जैसी बातें याद आती हैं… पर असली बात ये है कि अर्थव्यवस्था का बंटाधार करने के बाद भी मोदी सरकार पूरी तरह बेफिक्र व उदासीन दिखेगी और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान लगातार भटकाने का कुत्सित खेल जारी रखेगी। शायद @narendramodi जी भूल गए कि भारत को “विश्वगुरु” रुपये को मज़बूत रखकर ही बनाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉलर की डिमांड बढ़ने से रुपया हुआ कमजोर
आज करेंसी मार्केट में एक डॉलर के मुकाबले रुपया 85.04 के लेवल पर खुला और फिसलकर 85.07 के लेवल पर जा गिरा। पिछले सेशन में रुपया 84.96 के लेवल पर क्लोज हुआ था। ये पहला मौका है जब एक डॉलर के मुकाबले रुपये 85 के नीचे जा लुढ़का है। इंपोर्टर्स की ओर से डिमांड बढ़ने, शेयर बाजार में बिकवाली कर विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं। इससे डॉलर मांग बढ़ी है जिससे रुपये में कमजोरी देखी जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये होगा नुकसान
रुपये से गिरने का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी, तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 85.06 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी। इसी तरह भारत में जो विदेशी सामान का आयात होता है, उसकी कीमतें बढ़ जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रुपया कमजोर, शेयर बाजार में बिकवाली
अमेरिकी फेडरल बैंक ने दो दिनों की मीटिंग के बाद 18 दिसंबर को पॉलिसी का एलान करते हुए ब्याज दरों में एक चौथाई फीसदी की कटौती की है, लेकिन 2025 के लिए महंगाई दर के अपने अनुमान को 2.1 फीसदी से बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दिया है। फेड रिजर्व ने कहा है कि 2025 में वो केवल दो बार ब्याज दरों में कटौती करेगा। पहले उसने 4 बार कटौती करने का एलान किया था। इससे निवेशकों के बीच निराशा है। फेड के इस फैसले के चलते डॉलर के मुकाबले दूसरी करेंसी कमजोर हुई है जिसमें रुपया भी शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सवालः अब कितना गिर सकता है रुपया
नवंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा ऑलटाइम निचले लेवल पर आ गया है। नवंबर 2024 में व्यापार घाटा पिछले सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ते हुए 37.84 अरब डॉलर रहा है। 20 जनवरी, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) शपथ लेंगे। चुनाव में उनकी जीत के बाद से ही डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupee) में गिरावट जारी है। भले ही उनकी जीत में भारत में कुछ लोग खुशियां मना रहे थे। ट्रंप की जीत के बाद से डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) मजबूत हुआ है और सत्ता में आने के बाद डॉलर के और मजबूत होने की संभावना है। इससे रुपये में और भी कमजोरी देखने को मिल सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करेंसी की कीमत ऐसे होती है तय
डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में इसे करेंसी डेप्रिशिएशन कहते हैं। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है। इससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है। अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा। यदि बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।