पढ़िए स्वतंत्र विधा में युवा कवयित्री किरन पुरोहित की रचना-हे प्रभु मन में दीप जलाओ
हे प्रभु मन में दीप जलाओ
अंधकार से मुझे निकालो ,
सच्चाई की राह दिखा लो ।
सही ड़गर क्या मुझे बताओ ,
हे प्रभु ! मन में दीप जलाओ ।।
जीवन पथ पर मोड़ ही मोड़ ,
परिस्थिति देती हैं तोड़ ।
मन मेरा भटका – सा पथिक ,
समय बीतता बहुत अधिक ।।
अपनी मंजिल कैसे पाऊं? ,
खुद कैसे मैं दीप जलाऊं? ।
सही डगर क्या मुझे बताओ ,
हे प्रभु ! मन में दीप जलाओ ।।1।।
चुभती हैं कितनी यादें? ,
हाय ! सुनूं कितनी बातें ? ,
कितने इस पथ के साथी ?,
कितनी दीपक की बाती ?,
तुम बिन मेरा कौन सहारा? ,
हारे मन ने तुम्हें पुकारा ।
सही डगर क्या मुझे बताओ ,
हे प्रभु ! मन में दीप जलाओ ।।2।।
कवयित्री का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।