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April 30, 2025

देहरादून में एलिवेटेड रोड से बस्तियों को बचाने के लिए जनसंगठनों और प्रभावितों ने निकाला कैंडल मार्च

देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के निर्माण की योजना से बस्तियों को बचाने, प्रभावितों के साथ न्याय करने आदि की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकाला गया। बस्ती बचाओ आंदोलन के तहत निकाले गए इस कैंडल मार्च में विभिन्न जनसंगठनों के साथ ही एलिवेटेड रोड से प्रभावित होने वालों ने भागीदारी निभाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कैंडल मार्च पटेलनगर लालपुल से निकाला गया। न्यू पटेलनगर, सत्तोवाली घाटी, संगमविहार आदि क्षेत्रों से होकर मार्च गुजरा। इस दौरान प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास तथा मुआवजा को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य करने आदि की मांग को लेकर नारेबाजी की गई। साथ ही प्रभावितों से उनके अधिकारों के प्रति संगठित होने का आह्वान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने अपने वायदे के विपरीत देहरादून की बिन्दाल, रिस्पना नदी किनारे की बस्तियों के विस्थापन का ऐलान किया है। कारण ये है कि बिन्दाल और रिस्पना के ऊपर चार लेन एलिवेटेड रोड स्वीकृत की गई है। इसके बड़ी संख्या में बस्तियों में रहने वाले लोग प्रभावित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा एनजीटी के निर्णय के परिणामस्वरूप बस्तियों की वैधता पर प्रश्नचिह्न लगाए गए हैं। ऐसे में बस्तियों को हटाने की साजिश चल रही है। वक्ताओं ने याद दिलाया कि स्थानीय निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री ने बस्तियों की सुरक्षा की बात की थी। चुनाव जीतने के कुछ दिन बाद ही गैर जरूरी एलिवेटेड रोड बनाने की घोषणा कर दी। जो कि देहरादूनवासियों के हितों के अनुरूप नहीं है। प्रभावितों के सन्दर्भ में हमारी सरकार एवं जनप्रतिनिधि चुपचाप हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वक्ताओं ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी योजना को लागू करने से पहले प्रभावितों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। कई मामलों में यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि जब कोई योजना या परियोजना लोगों को विस्थापित कर सकती है, तो सरकार को पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीतियों को लागू करना चाहिए। ताकि प्रभावित व्यक्तियों के जीवनस्तर में सुधार सुनिश्चित हो सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

की गई ये मांग
1-एलिवेटेड रोड़ से उत्पन्न समस्याओं के समाधान का सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप अक्षरश: पालन किया जाये।
2-सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप प्रत्येक प्रभावित के लिए समुचित मुआवजा तथा पुर्नवास सुनिश्चित किया जाये।
3-एनजीटी के बेदखली के फैसले पर रोक लगाई जाये।
4-बस्तियों आदि के खिलाफ हाईकोर्ट उत्तराखंड में दायर याचिका पर सरकार जोरदार पैरवी कर बस्तियों की बेदखली रोके।
5-सरकार अपने वायदे के अनुरूप बस्तीवासियों को मालिकाना हक प्रदान करे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शन में ये रहे शामिल
इस अवसर पर आन्दोलन के संयोजक सीपीआई (एम) के देहरादून सचिव अनन्त आकाश, पूर्व जिला पपंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, कांग्रेस मंडल अध्यक्ष मौहम्मद अल्ताफ, जनवादी महिला समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष इन्दू नौडियाल, जिलाध्यक्ष नुरैशा, उपाध्यक्ष बिन्दा मिश्रा, सीटू के जिला महामंत्री लेखराज, पूर्व प्रमुख अर्जुन रावत, विप्लव अनन्त, हरीश कुमार, अदनान, शबनम, सुरेशी नेगी, सोनू, जोगन्द, सुमित्रा, तमरेज, कमल, विमला, मालती, अरुणा, नीलम रावत, शमशुल, रजा, सरेश, महेन्द्र, इन्दु आदि प्रदर्शन में शामिल रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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