रुद्रप्रयाग के कवि कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता-पिता परिवार का सारथी होता है
पिता परिवार का सारथी होता है
पिता परिवार का दीपक होता है,
पिता परिवार का विश्वास होता है,
पिता परिवार का त्रिदेव होता है
पिता परिवार की पहिचान होता है।
पिता त्याग, तप की प्रतिमूर्ति होता है,
पिता कोल्हू के बैल जैसा होता है,
पिता परिवार की शान होता है,
पिता हमेशा निस्वार्थी होता है।
पिता ही बच्चों को संस्कार देता है,
पिता स्वयं अभाव में रह कर भी,
परिवार की हर मांग पूरी करता है,
पिता परिवार का सारथी होता है।
पिता परिवार में अनुशासन लाता है,
पिता गरमी में छाया जैसा होता है,
पिता बरगद का पेड़ जैसा होता है,
पिता माँ का सुहाग होता है।
पिता का हृदय बहुत विशाल होता है,
परिवार के लिये सुख त्याग देता है,
पिता परिवार की आन-बान होता है,
पिता हिमालय की तरह ऊंचा होता है।
पिता बच्चों को अच्छी शिक्षा देता है,
बच्चों को हमेशा आगे देखना चाहता है,
बच्चों की सफलता पर खुश होता है,
तपस्या का नाम ही पिता है।
बाहर से कठोर,अन्दर से नरम होता है,
पिता बच्चों का उत्साह वर्धन करता है,
कठिनाइयों में लड़ने की ताकत देता है,
पिता बच्चों का रोल मॉडल होता है।
परिवार सौर मण्डल जैसा होता है,
पिता इस मण्डल का मुखिया होता है,
पिता परिवार का तिलक होता है,
पिता परिवार का बिछौना होता है।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
वाह??? भौत सुन्दर रचना?