साहित्यकार एवं कवि सोमवारी लाल सकलानी की कविता-चतुर्मास मे पपीहा प्यासा ! कोविड से छा गई निराशा

चतुर्मास मे पपीहा प्यासा ! कोविड से छा गई निराशा।
चतुर्मास में पपीहा प्यासा, कोविड से छा गई निराशा।
सुबह को बारिश मूसलाधार, दिन में देह जला दे घाम।
चंबा हलक सदा जल सूखा, पेयजल ज्यों परथण जैसा,
शहर सुनहरा और सजीला, पानी बाबत रहा है ढीला।
चातुर्मास में पपीहा प्यासा
वीरभूमि बलिदानी धरती, पर जमीन क्यों रही परती ?
साधन सुलभ बाजार है चंबा, महंगाई का दौर है लंबा।
कोरोना ने कमर तोड़ दी, युवकों ने नौकरी छोड़ ली !
मनरेगा अब एक है जारिया, कैसे चले गृहस्थी खर्चा ?
चतुर्मास में पपीहा प्यासा
पेट्रोल डीजल मे आग लगी, मिट्टी तेल सरकार पी गई !
कैसे दीप जलेगा कैसे भाई? आम आदमी मुंह की खाई।
चुनावी चिंता लगी सताने, लगे परस्पर नेता दोष लगाने।
देहरा दिल्ली दर्शन प्यारा, नेता गण इतिहास निराला !
चतुर्मास में पपीहा प्यासा
अभी जून,जुलाई आने दो, कुदरत का भी कहर ढाने दो !
काट पहाड़ खल्वाट किया है, पर्यावरण बरबाद किया है !
सुंदर शहर कुरूप बनाया, क्या शैलकटाव नजर न आया?
बिका हुआ संसार है भाई ! केवल धन मद की बलिहारी !
चतुर्मास मे पपीहा प्यासा
कब तक नजरें छुपा चलोगे? पर्वत का विनाश करोगे !
अभी सुमन प्रसून अमर है, आसमान से सब देख रहा है।
कब तक नंगा नाच करोगे? मां की छाती पर छेद करोगे!
अमर नहीं तुम, न सत्ता पैसा, जैसा कर्म,भरोगे भी वैसा !
चतुर्मास में पपिहा प्यासा
कोविड कोरोना उन्नीस आया, लाखों जानें दुश्मन खाया,
अब तो टीका भी है आया, पर महामारी ने खूब संताया।
डेड वर्ष से मैं भी लगा हूं, जन जागरूकता मिशन बना हूं।
रखें परस्पर सभी भरोसा, अवश्य आएगा सुखद सबेरा।
चतुर्मास में पपीहा प्यासा
कवि का परिचय
कवि एवं साहित्यकार सोमवारी लाल सकलानी, निशांत सेवानिवृत शिक्षक हैं। वह नगर पालिका परिषद चंबा के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर हैं। वर्तमान में वह सुमन कॉलोनी चंबा टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में रहते हैं। वह वर्तमान के ज्वलंत विषयों पर कविता, लेख आदि के जरिये लोगों को जागरूक करते रहते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।