शिक्षक ख्याली दत्त का हिंदी प्रेम, कविता में कुछ इस तरह किया बयां

हिन्दी
राष्ट्रवाद के हर पन्ने पर,
हिन्दी का साम्राज्य हो ।
भटक रही पहचान हमारी,
उठो उसका सम्मान हो ।।
अपनी हर पहचान है हिन्दी,
हिन्दी ही स्वाभिमान है ।
अहिंसा का पाठ पढा़ती ,
हिन्दी एक वरदान है ।।
आदर और सम्मान रसित है,
धर्म कर्म की सीख भरी ।
ऐसी संजीवनी हिन्दी अपनी ,
किसने हमसे दूर करी ।।
इस माटी के हर एक कण में ,
हिन्दी का अधिकार है ।
आंग्लभाषा को सिर में रखा ,
यह तो अत्याचार है ।।
रीति-रिवाज संस्कार है,
हिन्दी कर्तव्य कर्म संयोग है ।
गृहस्थी की पावन गंगा है ,
जग तारण यह जोग है ।।
हर दिल पर हर पन्ने पर हो ,
हर होडिंग हर मंचों पर ।
नई उड़ानें भर भर करके,
भारत का भ्रमण तो कर ।।
मृत पडी़ हर उर में जिन्दा ,
हम करने को आये हैं।
जय हिन्दी जय भारत तेरी,
एक दीप जलाकर लाये हैं ।।
कवि का परिचय
नाम-ख्याली दत्त
सहायक अध्यापक
राजकीय प्राथमिक विद्यालय सकनणा,
ब्लॉक सल्ट, जनपद अल्मोड़ा, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।