युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- असफलता बहुत कुछ नया सिखाती है

हां ! असफलता जब जब खुद को दोहराती है
हमें बहुत कुछ नया सिखाती है
मेरी कलम से मेरा नाता
मेरी किताबों से मेरा लगाव
मुझे वफादारी के सारे राज सिखाती है।
कलम खत्म हो जाए तो मन नहीं झिंझाता है
मनोभाव से मुस्कुराहट आती है
ये ही तो लक्ष्यप्राप्ति का पड़ाव पार कराती है।
पाठ्यक्रम का पहला अध्याय शून्य का आभास देता है
अंतिम अध्याय आते आते पूर्ण का बोध कराती है
पाठ्यक्रम का दोहराना ही तो धैर्यता सिखाती है
हां ! असफलता जब जब खुद को दोहराती है ,
हमें बहुत कुछ नया सिखाती है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
जब जब परीक्षा की घड़ी आती है
मन को संयम का भाव सिखाती है ,
जब जब परिणाम की घड़ी आती है
मन को प्रतीक्षा का भाव सिखाती है,
असफलता जब पहली बार खुद से टकराती है
कई रातों की नींद दिन का चैन ले जाती है
खुद को संभाल फिर से जब दृढ़ प्रतिज्ञा ली जाती है
नए तजुर्बे, नए अनुभव, नए सबक देती है
हां ! असफलता जब जब खुद को दोहराती है
हमें बहुत कुछ नया सिखाती है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
ताने बाने अपनो से
सहानुभुति मित्रजनों से मिलती है
हां ! ये दौर खामोश रहना सिखाती है
जीवन के कई वर्ष खुद को खुद में समेटना सिखाती है
काल्पनिक इच्छाओं को ध्वस्त कर
वास्तविकता का बोध कराती है
हां ! असफलता जब जब खुद को दोहराती है
हमें बहुत कुछ नया सिखाती है।
कवयित्री की परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।