नासा ने खोजा जीवन की संभावनाओं वाला ग्रह, इसमें 12.8 दिन का एक साल, इस तक पहुंचने के लगेंगे इतने साल
दुनिया भर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड में दूसरे ग्रहों का अध्ययन करते रहे हैं। साथ ही उनका इस बात का पता लगाने प्रयास होता है कि कौन का ग्रह हमारी पृथ्वी जैसा है और किसमें जीवन की संभावनाएं हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष दूरबीन का उपयोग करके एक आकर्षक ग्रह की खोज की है। यह पृथ्वी के आकार से कुछ छोटा है, लेकिन शुक्र ग्रह से बड़ा है। यह ग्रह हमारे सौर मंडल के काफी करीब है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस ग्रह पर जीवन की संभावना हो सकती है। इस नए संभावित ग्रह को ग्लिसे 12 बी के नाम से जाना जाता है, जो वैज्ञानिकों की भाषा में एक्स्ट्रासोलर ग्रह या एक्सोप्लैनेट है। ग्लिसे 12 बी एक छोटे और ठंडे लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है, जो पृथ्वी से लगभग 40 प्रकाश वर्ष दूर मीन राशि में स्थित है। वैज्ञानिकों ने नए प्लेनेट ग्लिसे 12बी को खोजने के लिए NASA के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) टेलिस्कोप का इस्तेमाल किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हैबिटेबल जोन में इस ग्रह में है पानी की संभावना
वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि ग्लिसे 12 बी हर 12.8 दिनों में अपने तारे की परिक्रमा करता है। इस तारे की परिक्रमा करने वाले कुल सात ग्रह हैं, जिनमें से सभी लगभग पृथ्वी के आकार के हैं और संभवतः चट्टानी हैं। इन ग्रहों में से तीन ग्रह हैबिटेबल जोन यानी, रहने योग्य क्षेत्र में आते हैं। रहने योग्य क्षेत्र किसी तारे से वह दूरी है, जिस पर उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों की सतहों पर तरल पानी मौजूद हो सकता है। जैसे पृथ्वी ने अपना पानी बनाए रखा। क्योंकि सूर्य से उसकी दूरी हैबिटेबल जोन में थी, जबकि शुक्र के ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण वहां पानी नहीं बच गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
12.8 दिन जितना एक साल
ग्लिसे 12 बी एक्सोप्लैनेट की खोज नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) के जरिए की गई है। इस एक्सोप्लैनेट की चौड़ाई पृथ्वी से लगभग 1.1 गुना होने का अनुमान है। यह चौड़ाई इस एक्सोप्लैनेट को हमारे ग्रह के साथ-साथ शुक्र के समान बनाता है, जिसे पृथ्वी की जुड़वा बहन कहा जाता है। ग्लिसे 12 बी अपने तारे, ग्लिसे 12 की इतनी करीब से परिक्रमा करता है कि उसका वर्ष केवल 12.8 पृथ्वी दिनों तक रहता है।लाल बौना ग्लिसे 12 सूर्य के आकार का लगभग एक चौथाई है, यह हमारे तारे की तुलना में बहुत ठंडा भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जीवन जैसा वातावरण
इसका मतलब यह है कि भले ही ग्लिसे 12 बी अपने लाल बौने तारे से सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी के केवल 7% के बराबर दूरी पर है। फिर भी यह अपने ग्रह प्रणाली के रहने योग्य क्षेत्र में है। इस क्षेत्र को “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” के रूप में भी जाना जाता है। यह रहने योग्य क्षेत्र एक तारे के आसपास का क्षेत्र है जो ग्रहों के लिए तरल पानी की मेजबानी करने के लिए न तो बहुत गर्म है और न ही बहुत ठंडा है। हालांकि, महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्लिसे 12 बी की खोज के पीछे की दो टीमें अभी तक निश्चित रूप से नहीं कह सकती हैं कि क्या इसका माहौल है। इसलिए यह अस्पष्ट है कि क्या दुनिया रहने योग्य हो सकती है, लेकिन शोधकर्ताओं के पास कुछ सतर्क आशावाद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों ने ऐसे की ग्लिसे 12 बी की खोज
वैज्ञानिकों ने ग्लिसे 12 बी को अपने मूल लाल बौने तारे को पार करते हुए, या “पारगमन” करते हुए देखा। इन पारगमनों के कारण प्रकाश में छोटी-छोटी गिरावट आती है। इसे पहचानने में TESS माहिर है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जब टीम इस परियोजना में गई, तो उन्हें निश्चित रूप से नहीं पता था कि ग्रह की कक्षीय अवधि या आकार क्या होगा। उन्होंने आगे कहा कि इसका आकार पृथ्वी के समान होना एक सुखद आश्चर्य था। तो इसे देखने में सक्षम होना वास्तव में एक अच्छी बात थी। वहीं फिलहाल विशेष रूप से यह जानना है कि रहने योग्य स्थिति के मामले में यह पृथ्वी और शुक्र के बीच स्थित हो सकता है या नहीं। वास्तव में रोमांचक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक बार पृथ्वी जैसे टेंपरेचर वाले अर्थ-साइज प्लेनेट्स की पहचान हो जाती है, तो फिर साइंटिस्ट यह तय करने के लिए उनको एनालाइज कर सकते हैं कि उनके वायुमंडल में कौन से तत्व मौजूद हैं। सबसे जरूरी जीवन को बनाए रखने के लिए वहां पानी मौजूद है या नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह काफी बड़ी खोज
एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में डॉक्टरेट की स्टूडेंट लारिसा पालेथोरपे ने CNN को बताया कि हमने पाया है कि कुछ ही एक्सोप्लैनेट हैं, जो जीवन की संभावना के लिए अच्छे उम्मीदवार हैं। अब यह जो नया एक्सोप्लैनेट है, वो हमारे सबसे नजदीक है और इसलिए यह काफी बड़ी खोज है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्लिसे 12 बी का तापमा 42डिग्री सेल्सियस
ग्लिसे 12 बी शुक्र को सूर्य से मिलने वाले विकिरण का लगभग 85% प्राप्त करता है, लेकिन माना जाता है कि शुक्र की सतह के तापमान 867 डिग्री फ़ारेनहाइट (464 डिग्री सेल्सियस) की तुलना में इसकी सतह का तापमान 107 डिग्री फ़ारेनहाइट (42 डिग्री सेल्सियस) है। यद्यपि पृथ्वी और शुक्र दोनों सूर्य के रहने योग्य क्षेत्र में हैं, लेकिन एक में जीवन संभव है और अनुकूल वातावरण है, जबकि दूसरा एक दुर्गम नरक है जहां तापमान इतना गर्म है कि सीसा पिघल सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस ग्रह तक पहुंचने में लगेंगे लगभग 2.25 लाख साल
पालेथोरपे ने बताया कि इस प्लेनेट पर पहुंचा नहीं जा सकता है, क्योंकि यह लगभग 40 लाइट-ईयर दूर है। वर्तमान में मौजूद सबसे तेज स्पेसक्राफ्ट यानी अंतरिक्ष यान से ग्लिसे 12बी तक पहुंचने में लगभग 2.25 लाख साल लगेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक्सोप्लैनेट की खोज से फायदा
नासा के एक्सोप्लैनेट प्रोग्राम का अंतिम लक्ष्य जीवन के संकेतों को खोजना है। क्या पृथ्वी से परे जीवन मौजूद है या नहीं यह अब तक के सबसे बड़े सवालों में से एक है। ब्रह्मांड में हमें जीवन मिलता है या नहीं मिलता दोनों ही उत्तर हमें हमेशा के लिए बदल देंगे। पृथ्वी के बाहर जीवन की खोज की कोशिश से कई अन्य सवालों के जवाब भी मिल रहे हैं। जैसे हम कहां से आए हैं, जीवन कैसे आया और, शायद, हम कहां जा रहे हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस ग्रह की खोज से दूसरे ग्रहों में जीवन की संभावनाओं को लेकर कई अध्ययन करने में सहायता मिलेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।