ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से लोकगीत-मजा है…. यार फकीरी में
यार फकीरी में
मजा है…. यार फकीरी में
मेरे दिलss मेरे दिलss मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल
यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में
दुख सुख एक सिक्का दो पहलू हंस ख़ुश जीवन जीले
क्यों पछतावा झूठे जगत में माया मोह रंगीले
रात दिन क्यों रोता बंदे दुखड़े सत संग पीलेsss
मेरे दिलss मेरे दिलss मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल
यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में
सत्य वचन सुन एक जगत में राम नाम रस पीले
क्यों पछतावा झूठ बोल कर सौ झूठ संग बोले
झूठ ही जीवन व्यर्थ गंवाए सत्य वचन नहीं बोलेsss
मेरे दिलss मेरे दिलss मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल
यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में
नित्य कर्म को पैदा भया जग कर्म में जीवन ढोले
पुरुषार्थ कर लोक जगत में कर्म को पूजा बोलै
काया माया धरी रहेगी जब अग्नि में घोलेsss
मेरे दिलss मेरे दिलss मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल
यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में
मन अपने बस कर ले बन्दे दिल की दिल में ढोले
राम भजन में रमले निशदिन राम बड़े हैं भोले
प्रभु नाम ही साथ चले जब ललित चल ले चल होलेsss
मेरे दिलsss मेरे दिलsss मेरे दिलss मेरे दिलss मेरे दिलss यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में मजा है… यार फकीरी में
कवि का परिचय
ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुंदर??