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May 1, 2025

हर फील्ड में कुशल रहे कुशलानंद जी, राज्यपाल ने दी बड़ी जिम्मेदारी, पत्रकारिता में कमाई सिर्फ ईमानदारी

खबर की हैडिंग में मैने कुशलानंद कोठियाल यानि कुशल कोठियाल के नाम पर जी लगाया है। इसका कारण भी है, जो मैं समझाने का प्रयास करूंगा। क्योंकि पत्रकारिता में उन पर कोई लांछन नहीं लगा और वह पत्रकारों की नई पीढ़ी के लिए आदर्श रहे। ईमानदारी ही उनकी कमाई रही। इसलिए मैने उनके सम्मान में जी शब्द का प्रयोग किया। जब मैंने वर्ष 1993 में अमर उजाला देहरादून में काम शुरू किया तो मुझे पहले प्रेस नोट से खबरें बनाने का काम मिला। तब पहली बार जब मैने खबर में जी शब्द लिखा तो टेलेक्स आपरेटर मनमोहन ने मुझे टोक दिया। उन्होंने ही मुझे बताया कि पत्रकारिता में जी शब्द सिर्फ महान विभूतियों के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे गांधी जी, सरदार पटेल जी, आदि आदि। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है ताजा खबर
अब एक दिन पुरानी खबर ये है कि कुशलानंद कोठियाल यानि कि कुशल कोठियाल को उत्तराखंड का राज्य सूचना आयुक्त बनाया गया है। उनके साथ ही देवेंद्र कुमार आर्य को भी इसी पद पर शपद दिलाई गई। इनके साथ ही पूर्व मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त की शपथ राज्यपाल ले. जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह की ओर से शनिवार 12 अप्रैल को दिलाई गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब मनमोहन का कथन
वर्ष 1990 में कुशल कोठियाल जी ने देहरादून में अमर उजाला ज्वाइन किया। उनके तीन साल बाद जब मैने वर्ष 1993 में अमर उजाला ज्वाइन किया तो मनमोहन जी ने जी का मतलब समझाया। साथ ही उन्होंने अखबारी लाइन का छोटा मोटा ज्ञान भी मुझसे साझा किया। तब देहरादून के अमर उजाला के इंजार्च सुभाष गुप्ता जी थे। मनमोहन जी ने मुझे बताया कि तुम्हारी जितनी रगड़ाई होती है, वह तो बहुत कम है। कुशल कोठियाल जी पैदल ही चलते थे, साइकिल चलानी उन्हें नहीं आती थी। जब वह लंबी दूरी तय करते थे, तब सुभाष गुप्ता जी उन्हें आने जाने के किराया के रूप में पांच रुपये देते थे। साथ ही दूसरे संसाधन से कई किलोमीटर की दूरी तय करके जब ऑफिस पहुंचकर खबर लिखने के लिए पहुंचते थे कि तभी उन्हें दूसरा टास्क मिल जाता था। कहा जाता कि वहां ये घटना घटित हुई पहले वहां जाओ फिर खबर लिखो। गर्मी, सर्दी और बरसात में ऐसी भागदौड़ करते करते कुशलजी सोने की तरह तप रहे थे। जो शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि ये मेहनत उनके जीवन में किस तरह से काम आएगी। सुभाष गुप्ता जी का काम कराने का तरीका मैरे लिए भी कारगर साबित हुआ। आज मैं जो कुछ भी लिख रहा हूं, ये सुभाषजी और कोठियालजी के सानिध्य में काम करके ही सीखा हूं।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

झेले कई ट्रांसफर
वर्ष 1991 में कुशल कोठियाल का तबादला कानपुर के लिए हो गया। वहां तब विपरीत परिस्थितियों में रिपोर्टिंग करनी पड़ती थी। दूसरे बड़े मीडिया के लठैत अखबारों के बंडल तक लूट लेते थे। कानपुर में क्राइम भी बहुत था। कानपुर की खास बात ये रही कि उन्होंने स्कूटर चलाना वहीं सीखा।  ऐसे दौर में कुशल कोठियालजी ने अपनी पहचान एक अच्छे समीक्षक के रूप में बनाई और वह वर्ष 1995 में मेरठ तबादले के रूप में पहुंचे। जहां चुनाव डेस्क में उन्होंने खूब मेहनत की। इसके बाद बड़े बड़े राजनेता उनकी लेखनी के आगे घुटने टेकने लगे। साथ ही राजनीतिक रिपोर्टिंग में   उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई। इसके बाद उनका तबादला देहरादून हो गया और अमर उजाला में कुछ समय काम करने के बाद उन्होंने वर्ष 2003 में दैनिक जागरण ज्वाइन किया। बार बार तबादलों ने उन्हें और निखार दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चढ़ते गए सफलता की पायदान
दैनिक जागरण में कुशल कोठियाल जी ने अपनी पहचान बनाई और पहले देहरादून इंचार्ज फिर उत्तराखंड के मुख्य संपादक के रूप में कार्य किया। जहां दैनिक जागरण में छह माह और साल भर में कोई संपादक नहीं टिक पाता था, वहीं कुशल कोठियाल जी ने सेवानिवृत्ति की उम्र तक बेहतर तरीके से अपने कार्य को अंजाम दिया। पिछले साल सेवानिवृत्त होने के बावजूद उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। अब जब वह सेवानिवृत्त हुए तो सरकार की नजर उनकी योग्यता पर पड़ी। इसके साथ ही उन्हें राज्य सूचना आयुक्त का दायित्व दिया गया। ऐसे में अब पत्रकारिता से जुड़े लोगों को उनके काफी अपेक्षाएं हैं। क्योंकि कुशल कोठियाल की पत्रकारिता में की गई कमाई सिर्फ उनकी ईमानदारी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राज्य सूचना आयोग के कार्य
उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग राज्य सूचना आयोग अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट तैयार करता है और राज्य सरकार को एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इसे बाद में राज्य विधानमंडल के समक्ष रखा जाता है। आयोग उचित आधार पर अधिनियम से संबंधित किसी भी मामले में जांच का आदेश दे सकता है। आयोग अपनी प्रदत्त शक्तियों के तहत सार्वजनिक प्राधिकारियों से अपने किसी भी निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आयोग किसी भी व्यक्ति से प्राप्त किसी भी शिकायत को प्राप्त करने और उसकी जांच करने के लिए बाध्य है। आयोग किसी भी ऐसे रिकॉर्ड को मंगवा सकता है और उसकी जांच कर सकता है जिसे वह आवश्यक समझता है और जो सार्वजनिक प्राधिकरण के कब्जे में है और किसी शिकायत की जांच के दौरान किसी भी आधार पर ऐसा कोई रिकॉर्ड उससे नहीं रोका जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आयोग को जांच के दौरान सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हैं। ऐसे मामलों में कोई भी शिकायत जिसके संबंध में दस्तावेजों की खोज और निरीक्षण की आवश्यकता हो। किसी गवाह या संबंधित दस्तावेजों या शिकायत से संबंधित किसी अन्य निर्धारित मामले की जांच की आवश्यकता वाले सम्मन जारी करने के लिए शक्तियों का प्रयोग। कोई भी प्रावधान जिसके तहत समन जारी किया गया हो और जिसके अनुसार व्यक्तियों की उपस्थिति आवश्यक हो और उनसे शपथ लेकर लिखित या मौखिक साक्ष्य देने तथा उससे संबंधित दस्तावेज या अन्य विवरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती हो। स्टाम्प लगे शपथपत्र पर साक्ष्य प्रस्तुत करने का प्रावधान। किसी भी न्यायालय या कार्यालय से किसी भी सार्वजनिक अभिलेख के अनुरोध से संबंधित शक्तियां। शक्तियों के तहत आयोग उन कदमों की सिफारिश कर सकता है जो अधिनियम के प्रावधानों की पुष्टि के लिए उठाए जा सकते हैं, यदि कोई सार्वजनिक प्राधिकरण ऐसा करने में विफल रहता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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