Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 14, 2024

कवि ललित मोहन गहतोड़ी का कुमाऊंनी होली गीत-तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै

कवि ललित मोहन गहतोड़ी का कुमाऊंनी होली गीत-तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै

तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै….
तेरी बक बकवास कि कूछै दिन रात
तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै।।टेक।।

पैलो मंतर सेवा कीजै।।२।।
बोल बढ़ाई झन लीजै।।
तेरी बक बकवास….

दूजो मंतर हसिखुशी जीलै।।२।।
जग में हसाई झन कीजै।।
तेरी बक बकवास….

तीसरो मंतर दान धरम कर।।२।।
भान भ्रम तू मत कीजै।।
तेरी बक बकवास….

चौथा मंतर त्याग तपस्या।।२।।
लाज शरम तू तज दीजै।।
तेरी बक बकवास….

पांचवां मंतर मिली जुली जीलै।।२।।
फोड़ा फोड़ी झन कीजै।। तेरी बक बकवास….

अगलो मंतर मुट्ठी बंद कीजै।।२।।
पांचों मंतर जप लीजै।।
तेरी बक बकवास….

कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “कवि ललित मोहन गहतोड़ी का कुमाऊंनी होली गीत-तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page