कवि ललित मोहन गहतोड़ी का कुमाऊंनी होली गीत-तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै

तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै….
तेरी बक बकवास कि कूछै दिन रात
तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै।।टेक।।
पैलो मंतर सेवा कीजै।।२।।
बोल बढ़ाई झन लीजै।।
तेरी बक बकवास….
दूजो मंतर हसिखुशी जीलै।।२।।
जग में हसाई झन कीजै।।
तेरी बक बकवास….
तीसरो मंतर दान धरम कर।।२।।
भान भ्रम तू मत कीजै।।
तेरी बक बकवास….
चौथा मंतर त्याग तपस्या।।२।।
लाज शरम तू तज दीजै।।
तेरी बक बकवास….
पांचवां मंतर मिली जुली जीलै।।२।।
फोड़ा फोड़ी झन कीजै।। तेरी बक बकवास….
अगलो मंतर मुट्ठी बंद कीजै।।२।।
पांचों मंतर जप लीजै।।
तेरी बक बकवास….
कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
भौत सुंदर रचना/ गीत गतोड़ी जी.