बादल बादल मनमानी पर उतरे। वर्षों हो गए , ये न सुधरे। दिन सुहावने सावन के वे हो गए अब...
साहित्य जगत
हाथों में हथकड़ियां हैं। पांवों में बेड़ियां हैं। कैसे हम लाज बचाएं घर-घर छुपा भेड़िया है। घरों में जो मिलती...
आज़कल झूठ ने रफ़्तार पकड़ी हो रहा है मन विकल। घुटनों के बल ही रेंगता सच देख लो अब आजकल।।...
नदियां नदियां चलकर घर तक आईं। घर भी डरकर कांपे थर - थर। माटी के घर हैं जो जर्जर। आफ़त...
बीवी मायके गयी है आज हो बीवी मायके गयी है आज। सुनो जी मायके गयी है आज।। सच कहता हूं...
बुरा मान गए ज़रा आईना क्या दिखाया, बुरा मान गए। ज़रा चुनाव में क्या हराया, बुरा मान गए। चाहते तो...
बादलों का शामियाना आसमान में तन गया बादलों का शामियाना। सांवली छांव भी पसर गई धरा पर। कंटीली धूप भी...
रावण! रावण दहाड़ रहा है, सत्य के विरुद्ध मन के स्याह कोनों में! बाहर खड़ी है, कतारबद्ध, डरी-सहमी भीड़! उम्मीदें...
प्रेत के पांव मुझे अक्सर संदेह होता है कि मैं आदमी हूं! क्योंकि रास्ते में गिर जाती है मेरी नाक,...
थिरक थिरक... आ नाच बा नाच ला... बलि तुम कां छा ला....2 थिरक-थिरक नाच-नाच ला जम बे नाच ला...2 तकधिन......