विवादों से घिरा रहा बीकेटीसी अध्यक्ष का कार्यकालः गरिमा मेहरा दसौनी
उत्तराखंड में बदरी केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कार्यकाल पूरा होने पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक अध्यक्ष के तौर पर पूरी तरह से विफल साबित हुए। कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता में गरिमा ने कहा कि अजेंद्र अजय की वजह से बीकेटीसी लगातार तीन साल तक विवादों में घिरी रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अजेंद्र अजय के सबसे बड़ा विवाद का आज तक निस्तारण नहीं हो पाया। यह विवाद केदारनाथ मंदिर परिसर से 228 किलो सोने का पीतल में तब्दील हो जाना है। इसके उसके अलावा मंदिर परिसर के बाहर एक क्यूआर कोड लगा दिया गया। इससे समूचे उत्तराखंड में हड़कंप मच गया। बीकेटीसी शुरू में तो क्यूआर कोड मामले से पल्ला झाड़ता रही, पर तीन दिन बाद बीकेटीसी के प्रवक्ता ने पत्र जारी कर स्वीकार किया की क्यूआर कोड उन्हीं के द्वारा लगाया गया था। तब तक लाखों रुपया चंदा जमा हो चुका था, आज तक पता नहीं चला कि वह चंदा किसके अकाउंट में गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि बीकेटीसी की नियमावली की बात की जाए तो पहली बार मंदिर परिसर के अंदर दर्शनार्थी गृह की व्यवस्थाएं पुलिस प्रशासन को संभालते हुए देखा गया, जबकि आज तक मंदिर समिति के स्वयंसेवक ही इस कार्य को करते आ रहे थे। गर्भ गृह से बड़ी संख्या में फोटो और वीडियो वायरल होते रहे और वीआईपी कल्चर पल्लवित पुष्पित होता रहा। जो कि मंदिर एक्ट के विरुद्ध थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपनों को दे की कहावत को चरितार्थ करते हुए अजेंद्र अजय ने न सिर्फ अपने चहेतों का स्थानांतरण उनकी पसंद के स्थान पर किया, बल्कि अपने भाई को बीकेटीसी में नियुक्ति दे दी। नियुक्ति के ठीक एक महीने बाद उसका ग्रेड पे बढ़ाते हुए नियम विरुद्ध उसकी वेतन वृद्धि कर दी गई। इतना ही नहीं अपने तीन साल के कार्यकाल में लगातार बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय पंडा पुरोहितों और हकहकूक धारीयों के अधिकारो में हस्तक्षेप करते रहे। इसकी वजह से चार धामों के पंडा पुरोहितों और हकहकूक धारियों और बीकेटीसी के बीच में लगातार तनातनी देखने को मिली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उत्तराखंड के चारधाम राज्य की आन, बान और शान हैं। इसलिए आज चूंकि बीकेटीसी के अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है, ऐसे में अजेंद्र अजय जैसे अदूरदर्शी और विवादास्पद व्यक्ति से उत्तराखंड को छुटकारा चाहिए। किसी कीमत पर हमारे पौराणिक मंदिरों के साथ और उनकी मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति को बीकेटीसी का जिम्मा नहीं दिया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने प्रदेश के मुखिया से निवेदन करते हुए कहा कि कोई ऐसा व्यक्ति बीकेटीसी के अध्यक्ष के रूप में चयनित होना चाहिए, जो हमारे चार धामों और बीकेटीसी की खोई हुई विश्वसनीयता गरिमा और प्रतिष्ठा को वापस लौट सके। साथ ही उसका संरक्षण कर सके।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।