अशोक आनन की कविता- संसद पर हमला
संसद पर हमला।
सुरक्षा का मसला।
आशंकित है फ़िर
संसद का अमला।
सुरक्षा का दावा
फ़िर फुस्फुस निकला।
संसद तो बदला
पर ख़तरा न टला।
लोकतंत्र का जो
मंदिर, वही छला। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुरक्षा का सवाल
बार – बार उछला।
कौन, जो चाहता
भारत से बदला।
दोषियों को मिले
नहले पर दहला।
अस्मिता का सवाल
सिद्ध हो न जुमला।
कठिनतम सज़ा हो
हो कोई न गिला।
अक्षम्य दुष्कृत्य से
यह देश फ़िर हिला।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।