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September 20, 2024

स्पेशल एजुकेटर्स की ट्रेनिंग वर्कशाप, दिव्यांगों से संवाद कला की सिखाई बारीकियां

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स्पेक्स देहरादून व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान से ट्रेनिंग वर्कशॉप ऑन रोल ऑफ़ कम्युनिकेशन फॉर स्पेशल एजुकेटर्स का आयोजन उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सभागार किया गया। इसमें स्पेशल एजुकेटर्स को दिव्यांगों से संवाद कला की बारीकियां सिखाई गई। साथ ही उन्हें बोलकर, देखकर, पढ़कर, लिखकर और हावभाव से संप्रेषण के तरीके बताए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस ट्रेनिंग वर्कशॉप की शुरुआत सामाजिक संस्था स्पेक्स के अध्यक्ष डॉ बृज मोहन शर्मा ने सभी संदर्भदाताओं को प्रतीक चिह्न देकर उनके स्वागत से की। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य स्पेशल एजुकेटर्स में संप्रेषण करने की विधा को विकसित करना है। साथ ही संभावित टारगेट ग्रुप को उनकी मूल आवश्यकता को समझकर उपयुक्त वातावरण उपलब्ध करवाना है। ताकि दिव्यांग बच्चों का समुचित विकास करके उनको मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस कार्यक्रम में ग्रासरूट अवेयरनेस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट ऑफ सोसायटी, स्मार्ट सर्किट प्राइवेट लिमिटेड, स्पीकिंग क्यूब आदि का सहयोग रहा। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के डॉ सिद्धार्थ पोखरियाल ने सभी बीएड स्पेशल एजुकेटर्स को उक्त कार्यशाला में सम्मिलित होने के लिए सराहा। साथ ही कहा कि कि इस कार्यशाला से सभी को बहुत कुछ सीखने व समझने को मिलेगा। सभी इस कार्यशाला से संप्रेषण की कला को ठीक प्रकार से समझ सकेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

कार्यशाला के प्रथम सत्र में संदर्भदाता डॉ हेमलता तिवारी ने सभी प्रतिभागियों से संप्रेषण के विभिन्न तरीकों के विषय में बात की। उन्होंने बताया कि संप्रेषण बोलकर, देखकर, पढ़कर, लिखकर, हावभाव से किया जा सकता है। एक सही संप्रेषण कर्ता के लिए सही तरीके से अपनी बात को रखना होता है। उन्होंने बहुत से उदाहरणों के माध्यम से अपने विषय को तर्क संगत तरीके से बताया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्लीनिकल साइक्लोजिष्ट रंजीता मुखर्जी ने स्पेशल एजुकेटर्स को दिव्यांग बच्चों के मनोभावों को समझने की मनोवैज्ञानिक तरीके से संबंधित जानकारी से अवगत करवाया गया। साथ ही कई प्रकार की गतिविधियां के माध्यम से जानकारी प्रेषित की है। उनके द्वारा प्रतिभागियों के कई प्रश्नों के उत्तर दिए गए। भारत सरकार के संगीत एवं नाट्य विभाग के योगेश सोमी भट्ट ने संप्रेषण कला में अभिनय व हावभाव की विधा को विकसित करने के सिए बहुत ही साधारण व महत्वूर्ण टिप्स प्रतिभागियों को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने बिना बोले इशारों से व ध्वनि के माध्यम से सही तरीके से बात करने की विधियों पर चर्चा की। अभिषेक मंदौला ने नाट्य विधा के माध्यम से उपयुक्त संप्रेषण के गुण सभी को बताए गए। उन्होंने छोटे छोटे संवादों से प्रतिभागियों से मनोरंजन के साथ जुड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने हावभाव से संप्रेषण को प्रभावी बनाने के लिए उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों का समझाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

नीतिका ने अंग्रेजी भाषा में संवाद कला की बारीकियों पर अपनी बात रखी। उन्होंने शब्दों के माध्यम से संप्रेषण को प्रभावी बनाने वाली मुख्य तकनीकों पर प्रकाश डाला गया। स्मार्ट सर्किट प्राइवेट लिमिटेड के सौरभ कौशल व राघव शर्मा द्वारा विज्ञान आधारित लॉ कोस्ट ट्वॉयज को संचार का उपयुक्त माध्यम बनाने पर जोर दिया गया। उनके द्वारा बनाए गए किट के उपकरणों से बहुत ही सरल तरीके से प्रतिभागियों ने विज्ञान संप्रेषण की कला को समझा। साथ ही इसे अपने विषय से जोड़ने का प्रयास किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यशाला के अंत में डॉ दिनेश कुमार चौधरी ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। आशा जताई कि भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाती रहेंगी। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय अपना सहयोग करता रहेगा। न्यूज 18 के मुख्य संपादक अनुपम त्रिवेदी ने अपने संबोधन में स्पेक्स व इस कार्यशाला से जुड़ी अन्य संस्थाओं को इस विशिष्ट कार्यशाला के आयोजन व इसके सकारात्मक परिणाम के लिए सराहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस कार्यशाला में सम्मिलित सभी प्रतिभागी स्पेशल एजुकेटर्स को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यशाला का संचालन नीरज उनियाल ने किया। इस कार्यशाला में राम तीरथ मौर्य, अशोक कुमार, श्रुति व्यास, मंगेश कुमार आदि ने अपना सहयोग दिया। यह कार्यशाला ऑफ़ लाइन व ऑन लाइन दोनों ही माध्यम से आयोजित की गई।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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