पेगासस जासूसी केस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, कोर्ट ने कहा- दो से तीन दिन में हम जारी करेंगे अंतरिम आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है। केंद्र सरकार के हलफनामा दाखिल करने पर केंद्र की हीलाहवाली पर कोर्ट ने फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अब हमारे पास आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

सरकार की तरफ से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘सरकार कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती। कानून मंत्री पहले ही संसद में आरोपों का खंडन कर चुके हैं। सरकार इस बारे में और कुछ नहीं कहना चाहती है। सरकार इस मुद्दे पर कमेटी बनाने के लिए कह चुकी है और वो इसके लिए तैयार है। वहीं कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानकारी छिपा रही है। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका आरोप का खंडन किया। सुनवाई जारी है।
कोर्ट वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। वहीं, केंद्र सरकार का बार-बार यह कहना था कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए फोन को इंटरसेप्ट करने के लिए किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया। इसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा नहीं किया जा सकता।
तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी सरकार यह सार्वजनिक नहीं करेगी कि वह किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है। ताकि आतंकी नेटवर्क अपने सिस्टम को मॉडिफाई कर सकें और ट्रैकिंग से बच सकें। मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार, निगरानी के बारे में सभी तथ्यों को एक विशेषज्ञ तकनीकी समिति के समक्ष रखने के लिए तैयार है, जो अदालत को एक रिपोर्ट दे सकती है। शीर्ष अदालत के उस सवाल पर कि क्या केंद्र एक विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए तैयार है, मेहता ने कहा कि दायर दो पृष्ठ का हलफनामा याचिकाकर्ता एनराम और अन्य द्वारा उठाई गई चिंताओं का पर्याप्त रूप से जवाब देता है।
इससे पहले प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सात सितंबर को याचिकाओं पर और जवाब दाखिल करने का फैसला करने के लिए केंद्र सरकार को और समय प्रदान कर दिया था। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि कुछ मुश्किलों की वजह से दूसरा हलफनामा दाखिल करने पर फैसला करने के लिए वह सरकार के संबंधित अधिकारियों से मुलाकात नहीं कर सके।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।