हाईकोर्ट ने रुड़की में दुकान आवंटन में सभी पक्षकारों से मांगा जवाब, मुख्य नगर आयुक्त के ट्रांफसर मामले में सरकार ने दिया ये जवाब
हाइकोर्ट ने नगर निगम रुड़की द्वारा नगर निगम की भूमि पर बने दुकानों को अपने ही लोगो को बिना किसी विज्ञप्ति के आवंटित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के बाद सभी पक्षकारो से दो सप्ताह के भीतर अपने अपने जवाब पेस करने को कहा है।

इससे पहले की सुनवाई में उच्च न्यायालय नैनीताल ने रुड़की में नगर निगम की भूमि पर निर्मित दुकानों को अपने ही लोगों को आवंटित करने के मामले में सख्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने रुड़की की नगर आयुक्त का एक सप्ताह में अन्यत्र तबादला करने को कहा था। साथ ही इस मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने सवाल किया कि कैसे पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति गृह जनपद में कर दी गई। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार इस अधिकारी का ट्रांसफर सोमवार तक करे, अन्यथा कोर्ट ट्रांसफर नीति ही रद कर सकती है।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रुड़की निवासी आशीष सैनी की जनहित याचिका दायर पर सुनवाई हुई। इस याचिका में बताया गया है कि नगर निगम रुड़की ने नगर निगम की भूमि पर 2011 से 2013 के बीच करीब 24 दुकानें बनाई थी। जिन्हें तत्कालीन मेयर ने बिना किसी विज्ञप्ति के अपने ही लोगों को आवंटित कर दिया। बाद में दुकानों की छत का अधिकार भी उन्हीं लोगों को दे दिया गया। इस मामले में कोर्ट ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए थे कि मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश की जाए।
इधर, इस आदेश को दुकानदारों ने भी चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। साथ ही शहरी विकास सचिव को निर्देश दिए थे कि दुकानों को खाली कराने के लिए अंतिम निर्णय लें और दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें। कोर्ट के आदेश पर आवंटन निरस्त कर दिया गया। तब खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही मानते हुए 2020 तक दुकानें खाली करने का समय दिया, लेकिन अभी तक दुकानें खाली नहीं कराई गई।
याचिकाकर्ता का भी कहना है कि मुख्य नगर आयुक्त नुपुर वर्मा रुड़की की स्थायी निवासी हैं। उनकी यहां नियुक्ति गलत तरीके से की गई है। अधिकारियों की नियुक्ति अपने ही होम टाउन में नही हो सकती। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 1946 की तबादला नियमावली के अनुसार यदि किसी स्थायी महिला अधिकारी की शादी उसके गृह जिले से बाहर हो जाती है और उसका पता बदल जाता है। तब उसी जिले में उसकी नियुक्ति हो सकती है।
वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि मुख्य नगर आयुक्त नुपुर वर्मा ने उत्तराखंड महिला आरक्षण का लाभ भी लिया है। साथ ही उत्तराखंड ट्रांसफर नीति 2017 यह कहती है कि किसी भी अधिकारी की नियुक्ति अपने होम टाउन में नहीं हो सकती। यदि स्वास्थ्य कारणों से अनफिट कर्मचारी या अधिकारी अपना ट्रांसफर अपने गृह जनपद में कराना चाहता है तो तब सरकार यह तथ्य सामने लेकर आती है कि उसका गृह जनपद है। इस मामले में सरकार खुद 2017 की ट्रांसफर नियमावली का उल्लंघन कर रही है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।