युवा कवयित्री किरन पुरोहित की कविता-अगर कभी-भी नहीं मिले तो

अगर कभी-भी नहीं मिले तो
अगर कभी कुछ कहा नहीं तो –
बात कैसे है ?
अगर कभी कुछ सुना नहीं तो –
याद कैसे है ?
अगर कभी भी नहीं मिले हम –
ऐ स्वपन साथी ! ,
तो बिन मिले इन धड़कनों में – प्यार कैसे है ? ।।1।।
ना मिली नजरें तो ये तकरार कैसे है ?
मेरे गले पर इश्क की तलवार कैसे है ?
ना कभी नजदीक तुम मेरे अगर आए ?
तो बिन मिले हर सांस में झनकार कैसे है ? ।।2।।
क्या ठिकाना है तेरा, मुझको नहीं है ये पता ।
ये दूरियां जो बीच हैं, इनमें रही मेरी ख़ता ।।
तू ही आजा लौट कर, हां मैं बुलाती हूं तुझे ।
इन पलों में दूर हो कर, ना मुझे तू अब सता ।।3।।
तुम कल्पनाओं में कहीं, मेरी तो दुनिया कल्पना ।
तुम अल्पना के रंग हो, मेरी तो दुनिया अल्पना ।।
मैं तुम्हारे ही लिए लिखती रहूं कविता सुनो !
तुम मीरा के मनमोहन, हां ! मैं तेरी संकल्पना ।।4।।
कवयित्री का परिचय
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुंदर कविता किरण प्रोहित आपकी सुंदर कल्पना
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ?