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November 8, 2024

मलिन बस्तियों में बुलडोजर अभियान, लोगों की दो टूक, जो नहीं देगा साथ, उसे नहीं देंगे वोट

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मलिन बस्तियों में चल रहे बुलडोजर अभियान का विरोध जारी है। काठ बंगला क्षेत्र में आयोजित सभा में प्रभावितों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जो भी राजनीतिक दल उन्हें बेघर करने का विरोध नहीं करेगा, उसका भविष्य में वे भी साथ नहीं देंगे। ना ही ऐसे दल को वोट दिया जाएगा। इस बीच विभिन्न संगठनों के प्रतनिधिमंडल ने आज मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी से भेंट कर घरों को उजाड़ने से पहले लोगों को अपना पक्ष रखने का मौका देने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रतिनिधिमंडल ने एमडीजीए उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि बस्तीवासियों को वर्ष 2016 से पहले के भवन के प्रमाण जमा करने के लिए और समय दिया जाए। क्योंकि अभी बड़ी संख्या में प्रभावितों ने प्रमाण जमा नहीं कराये हैं। प्रतिनिधि मण्डल ने उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि साक्ष्यों का समुचित परीक्षण करना जरूरी है। ताकि किसी भी प्रभावित के साथ अन्याय न हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रतिनिधिमण्डल ने पुर्नवास नीति बनाये जाने तथा प्रभावितों का पुर्नवास करने के एमडीडीए के विचार का स्वागत किया। प्रतिनिधिमंडल में सीपीएम के शहर सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू के प्रदेश महामंत्री लेखराज,चेतना आन्दोलन के सह संयोजक शंकर गोपाल आदि शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जो नहीं देगा साथ, उसे नहीं दिया जाएगा वोट
इस बीच प्रभावितों की आमसभा कांठ बंगला के लोहे के पुल के पास आयोजित की गई। इस दौरान संकल्प लिया कि जो उनको बेघर होने के समय में साथ नहीं देगा, उसका वह भी साथ नहीं देंगे और ना ही भविष्य में उसे वोट दिया जाएगा। बस्तियों की और से आये हुए लोगों का कहना था कि जब केंद्र और राज्य सरकार करोड़ों घरों को देने का वादा कर रही हैं, ऐसे समय पर उनको न तो घर मिल रहा है और न मालिकाना हक़ मिल रहा है। उल्टा उनको बेघर किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

किरण ने कहा कि अगर अतिक्रमण और नदी का सवाल है, तो सिर्फ बस्ती वालों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। बड़े फ्लैट, होटल और अन्य बिल्डिंग को अतिक्रमण नहीं माना जाता है। सभा को सीटू के प्रदेश सचिव लेखराज और चेतनाझ आंदोलन के शंकर गोपाल ने भी संबोधित किया। इस मौके पर नरेंद्र, अमित, सुनीता, नासिर, किरण, प्रेमा, देवेंद्र आदि उपस्थित रहे।

ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। अब बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से कार्रवाई होनी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत हटाया जा रहा है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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