युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-व्यथा किस से कहूँ दिल की कोई हमारा नहीं

सब के सब स्वार्थी हैं कोई हम छात्रों का सहारा नहीं।
सब के सब स्वार्थी हैं कोई देश के भविष्य का सहारा नहीं।।
माँगने पर रोज़गार हर बार न जाने क्यों मिलती हैं लाठियाँ।
अरे मैं छात्र हूँ छात्र कोई खूनी,मैं कोई हत्यारा नहीं।।
पहले से थे परेशान बेहाल इसीलिए लाए थे इनको सत्ता में।
इन्होंने न कुछ भला किया और स्थित को भी सुधारा नहीं।।
ज़िंदगी में छाया है अंधेरा पूस की लम्बी रातों सा।
दिनकर भी डूबा है हमको नज़र आता कोई ध्रुव तारा नहीं।।
हाथ जोड़ा पैर पकड़ा हर जतन करके हारे हैं हम।
कोर्ट,सपा बसपा तो कभी भाजपा कौन था ऐसा जिसे हमने पुकारा नहीं।।
खुश हैं माँ बाप की बस लाठियाँ मार कर छोड़ दिया।
एहसान तेरा ये सत्ता की खाल खींची नहीं गोली मारा नहीं।।
एहसान तेरा सत्ता तूने बच्चों की खाल खींची नहीं गोली मारा नहीं।।
रीति है जहान की पाकर सत्ता,हो जाते हैं सत्ता के मद में चूर।
तुम भी हुए जो मगरूर तो आशीष इसमें दोष तुम्हारा नहीं।।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।