कलम की नोक की समझिए ताकत, वर्ना रफ्तार बदल जाएगी (लेख)
विचारों की उधेड़बुन में फंसा आज का मानव को स्कूल जाने की ताकत का काम केवल कलम की नोंक में है। कलम की नोंक ही आज की ताकत है। नोक पर जितना बल बढ़ेगा शब्दों में कसावट उतनी ही बढ़ेगी। विचारों का लेखा नोक की रफ्तार पर टिका हुआ है। विचारों के अतुल्य भंडार को गति पूर्वक मार्गदर्शन में कलम की नोक की अहम भूमिका है। कलम चाहे शिक्षार्थी की हो, शिक्षक की हो या शोधकर्ता की हो। जब वह कागज के धरातल पर हल रूपी नोक के समान अपना प्रभाव भूमि रूपी स्याही अक्षर रूपी बीज की बुवाई करती हुई आगे बढ़ती है, तब एहसास होता है कि कलम की ताकत क्या है।
कलम की ताकत से व्यक्ति के जीवन के हर पहलू जैसे परिस्थितियां स्थान रहन-सहन खान-पान वेशभूषा में नवीन परिवर्तन की ज्वाला दिखाई देती है। इसी ज्वाला से व्यक्ति जलकर राख बन जाता है या फिर तपता स्वर्ण का आभूषण बन जाता है।
आज कलम का सिपाही वही है जो कलम का प्रयोग लोक की गति दिशा और उसके धरातल का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ाता है। तब ही कलम की ताकत उसके लिए ताकत बन जाती है। अन्यथा उसके प्रयोग के दौरान नॉक टूटकर ज्वाला में राख बना देती हैं। क्योंकि संसार में हर ताकतवर वस्तु का प्रयोग करने में सावधानी रखना अति आवश्यक है। अन्यथा दुष्परिणाम भावी पीढ़ियों तक विनाशकारी होते हैं।
आज लेखन के विस्तृत संसार में लेखनी की नोक से कवि शिक्षक डॉक्टर पुलिस लोकतंत्र का प्रतिनिधि वैज्ञानिक न्याय की साक्षात मूर्ति स्वरूप न्यायधीश आदि अपने कर्तव्य पथ को सार्थक स्वार्थ परक निष्ठा प्रक और भ्रष्टाचार में लिप्त होने में प्रयोग कर रहे हैं।
शिक्षक के संदर्भ में:-
शिक्षक के संदर्भ में कलम की नोक की ताकत देखी जाए तो प्रातः विद्यालय प्रवेश करते ही ताक सर से शुरुआत करता हुआ दिनभर की गतिविधियों में प्रयोग करता है और इसी ताकत से शिक्षार्थियों को सीधा सटीक सुगम में सार्थक शब्दावली की पाठशाला का एक पाठ सिखाने की ताकत देता है। जिसका परिणाम सक्षम कार्य के प्रति निष्ठावान एवं कलम को संभाल कर आगे बढ़ाने की ताकत अपने शिष्यों में आलोकित करता है। तब समझ पाता है की कलम की ताकत क्या है? जब शुरुआत में अबोध, अज्ञानी बालक को खड़ी पाई ऑडी पाई उल्टा चुला सीधी पाई से शुरू होकर अ,आ से आगे बढ़ती हुई कलम की नोक ज्ञानी तक पहुंचती है। तो बड़ा गर्व होता है। धीरे-धीरे कलम का सिपाही बन जाता है। अपने कार्य को बड़े दक्ष तरीके से एक शिल्पकार की भांति संपन्न करता है। तब पता चलता है कलम की ताकत का।
कवि के संदर्भ में:-
भूधरा के जिस धरातल पर रवि की किरण पहुंचने में देरी होती है वहां कवि अपनी कलम की नोक से काव्य रचना करके नवीन उत्साह का संचार कर देता है और एक हलचल सी लहर फैला देता है। तब पता चलता है कि कलम की नोक से विचारों की पताका कितनी लहरा रही है। कल्पना को वास्तविकता में बदल देता है। असंभव को संभव तरीके से प्रतीत कर देता है।
डॉक्टर के संदर्भ में:-
डॉक्टर के संदर्भ में देखा जाए तो कलम की नोक के तीखे पन का प्रयोग मरीज के हितैषी बनकर करता है तो उसका प्रभाव सकारात्मक रहता है अन्यथा नकारात्मक। इसी प्रभाव के कारण जिंदा इंसान को लास्ट में और ना स्वरूप अर्धवृत्त को जिंदा इंसान बना करें अपनी कलम की ताकत का परिचय कराता है।
पुलिस के संदर्भ में:-
आज प्रशासन के अंग में पुलिस व्यवस्था के संदर्भ में कलम की नोक की ताकत का नमूना देखा जाए। तो पता चलता है कि आज संगीन अपराधी को दोषमुक्त या उन निर्दोष को अपराधी का जुमला पहनाकर के एक नया रूप दे दिया जाता है। यह केवल उस कलम का प्रयोग करने पर निर्भर करता है।
लोकतंत्र के प्रतिनिधि के संदर्भ में:-
लोकतंत्र के प्रतिनिधि की छवि पर नजर डाले तो हमें पता चलता है कि सफेद पोशाक में शांति का प्रतीक खड़ा है पर वास्तव में कुछ और ही है। इसके द्वारा किए गए कार्य से असंभव को संभव और असंभव को संभव में बदलने का कार्य किया जा रहा है। इसी तरह कलम की नोक में कितनी शक्ति है? इसकी चर्चा अवर्णनीय है जिसका सर्वव्यापी उदाहरण जनता के लिए बनाए गए नियमों और स्वहित के लिए अपनाए गए तरीकों के रूप में आज हर जगह देखा जा सकता है। यह कार्यपालिका व्यवस्थापिका के सदनों में किया गया जनप्रतिनिधि के द्वारा कलम की नोक की ताकत को दर्शाता है।
वैज्ञानिकों के संदर्भ में:-
वर्तमान युग वैज्ञानिक युग की दौड़ में आगे बढ़ रहा है जिसमें देखा गए हैं की वैज्ञानिकों की कलम की ताकत से हो रहे उनके शोध अद्भुत चर्चा के विषय हो रहे हैं। जिसका परिणाम देश-विदेश और यहां तक कि आधुनिक जीवन शैली में प्रयुक्त कलम से लेकर विशाल उपग्रहों की चर्चा करना भी कम है। क्योंकि पृथ्वी स्वरूप ब्रह्मांड के प्रत्येक ग्रह पर कलम की नोक का प्रभाव देदीप्यमान हो रहा है वैज्ञानिकों के द्वारा खोजा गया हर तत्व परमाणु अणु और पदार्थ से लेकर के विशाल वस्तु तक होने वाले अन्वेषण का परिणाम कलम की ताकत है।
पत्रकार के संदर्भ में:-
आज का पत्रकार अपनी कलम की ताकत को नई दिशा दे रहा है। जिस ओर अंधेरा है उस और आगे बढ़ कर रहा है। क्योंकि उस और प्रकाश की उम्मीद लगाए हुए हताश आंसुओं से रून्धी हुई बेबस जनता की खड़ी हैं। दूसरी ओर सूर्य के समान आग लिए हुए प्रकाश का गोला (सरकारी महकमा) खड़ा है। उस भयानक अंधेरे में एक पत्रकार आगे बढ़ता हुआ कलम की नोक पर जनता को झूठी दिलासा देता हुआ आगे बढ़ने का अथक प्रयास कर रहा है। स्वहित की रोटियां पकाते हुए नजर आ रहा है।
आज कलम की नोक का प्रयोग एक धरातल का स्वामी रोहित का कार्य पुरजोर तरीके से किया जा रहा है। क्योंकि उसको डर है कि प्रकृति में वही पौधे जीव अपना जीवन बनाए रख सकते हैं जो संघर्षरत रहते हैं। वही स्थिति आज के कलम के धरातल के स्वामी (सम्पादक) की हो रही है। क्योंकि उनको वर्तमान स्थिति बहुत दयनीय होती जा रही है। यदि वे लोग सत्य इमानदारी जैसे न्यायोचित कार्यों को आगे बढ़ाने का कार्य करें तो उनको निकलने वाला प्रकाश का गोला जहरीले सर्प के समान उनके धरातल पर कालिख की फुंकार लगा देता है। जिसके कारण कलम की नोक की ताकत क्षीण होकर राख बन जाती है। इसी अस्तित्वहीन होने के डर से दिशा ही बदल डाली हैं। दोहरा चरित्र अपनाकर नौक की ताकत का प्रयोग प्रकाश के गोले को अधिक प्रकाशित करते हुए उसकी गाथाओं का गुणगान करते हैं। जिसके कारण हताश जनता और अधिक हताश होती हुई सांत्वना के सपनों में खोने लगी है।
आज का न्यायमूर्ति (न्यायधीश) :-
कलम की नोक की गति का अग्रिम स्वरूप बहुत ही तीखे पन की ओर इशारा कर रहा है। जिसको साक्षात सत्य का पुजारी या ईश्वर का द्वितीय स्वरूप तुल्य समझा जाता है। जो साक्षात न्यायमूर्ति न्यायधीश है।
इस न्यायमूर्ति की कलम की ताकत वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखी जाए तो महिला पर हो रहे अत्याचार की तस्वीर सबके सामने हैं। इसी तस्वीर को सुरक्षित करने का कवच न्यायधीश की कलम की नोक में है। इस लोक से लिखा हर अक्षर का महत्व ही उसकी ताकत को बढ़ाता है। इसके अलावा आधुनिक समय में जनहित में लोक को आगे बढ़ाने का कार्य होता है तो न्याय की आशा अतीत किरण जन-जन के सपनों को साकार कर सकती है। अन्यथा स्वार्थ एवं सहित की विशाल बहुमंजिला इमारतों से निर्मित पुस्तकालयों में भरी पुस्तके नजर आएगी। जिस को कानूनी पोथियों का दर्जा मिला है। और उनका उपयोग करते हुए न्याय की धरा पर अन्याय की खेती करता हुआ काली पोशाक में एक अंधा मानव का स्वरूप नजर आएगा।
शुरुआती दौर में नोक की ताकत का प्रयोग न्याय के रक्षक अंबेडकर ने बड़ी सावधानी पूर्वक किया। परंतु उसी कलम की नोक से लिखे हर अक्षर में स्वार्थ हित को ढूंढता हुआ आज का काला कोट उनकी ताकत का दुरुपयोग कर रहा है। तथा उस नोक से लिखी सटीक अक्षर लेखन की ताकत को कमजोर बनाने में लग रहा है।
शिक्षा :-
कलम की नोक की ताकत को समझिए
वरना कलम की रफ्तार बदल जाएगी ।
और कलम के बल पर लोग सर कलम करेंगे
और कलम की नोक प्रकाश के गोले की ताकत बन जाएगी।।
लेखक का परिचय
नाम- गीता राम मीना
प्राध्यापक हिन्दी, स्वामी विवेकनन्द राजकीय मॉडल स्कूल लाखेरी के. पाटन जिला बूंदी, राजस्थान। संपर्क सूत्र :-9462701943
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।