Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

February 4, 2025

हाईकोर्ट ने पूछा-जब अग्निवीर और नियमित सैनिकों की नौकरी एक जैसी, फिर सैलरी अलग क्यों, सरकार ने दी ये सफाई

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि भारतीय सेना में ‘अग्निवीरों’ और नियमित सैनिकों का अगर जॉब प्रोफाइल एक जैसा है तो उनके अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? सरकार की वकील ने जवाब दिया कि ‘अग्निवीर’ सशस्त्र बलों के नियमित कैडर से अलग कैडर है तो उच्च न्यायालय ने कहा-अलग कैडर होना जॉब प्रोफाइल का जवाब नहीं है। सवाल काम और जिम्मेदारी का है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स में अग्निवीरों की भर्ती जारी है। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में अग्निपथ स्कीम पर आईं ढेरों याचिकाओं पर सुनवाई भी चल रही है। बुधवार को सुनवाई का मसला अग्निवीर के वेतन पर था। दायर याचिकाओं के आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत सरकार से सेना में अग्निवीरों की सैलरी और नियमित सैनिकों (सिपाहियों) की सैलरी में अंतर पर स्पष्टीकरण मांगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जब भारतीय सेना में दोनों की नौकरी की प्रकृति समान है तो उनके वेतनमान अलग-अलग क्यों हैं? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रधान न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि यदि जॉब प्रोफाइल समान है, तो आप अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? हमारा फैसला बहुत कुछ जॉब प्रोफाइल पर निर्भर करेगा. इस पर निर्देश प्राप्त करें और इसे एक हलफनामे पर रखें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने जवाब दिया कि Agniveer सशस्त्र बलों के नियमित कैडर से अलग कैडर है। इसपर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि अलग कैडर से नौकरी की प्रकृति का जवाब नहीं मिलता। सवाल काम और जिम्मेदारी का है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा कि अगर नौकरी की प्रकृति समान है, तो आप अलग-अलग वेतनमान को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? बहुत कुछ नौकरी की प्रकृति पर निर्भर करेगा। इस पर निर्देश प्राप्त कर हलफनामे में शामिल करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ASG ने जवाब दिया कि अग्निवीर कैडर नियमित कैडर से अलग है। इसलिए उनके नियम, शर्तें और जिम्मेदारियां भी सैनिकों से अलग हैं। जिम्मेदारी एक जैसी नहीं हो सकती। यहां तक कि अग्निवीरों और सामान्य कैडर का काम भी एक जैसा नहीं है। अग्निवीर कैडर को अलग कैडर के रूप में बनाया गया है। इसे नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा। चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद फिट पाए जाने पर नियमित कैडर की सेवा शुरू होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहली बार सशस्त्र बलों में अग्निवीरों के रूप में युवा लड़कियों को शामिल किया जा रहा है। इसपर जब याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कहा कि यह मेडिकल एग्जामिनेशन के बिना किया जा रहा है, तो पीठ ने कहा कि क्या आपको नहीं लगता कि आपको इस कदम का स्वागत करना चाहिए? इसमें लड़कियां भी आ रही हैं, यह एक स्वागत योग्य कदम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अग्निपथ योजना का बचाव करते हुए केंद्र ने कहा कि इस नीति के लिए बड़ा अध्ययन किया गया। यह ऐसा निर्णय नहीं था, जिसे हल्के में लिया गया था और भारत सरकार इस स्थिति के प्रति जागरूक और सचेत थी। केंद्र ने आगे कहा कि अधिकारियों के पद के नीचे, अब अग्निवीर ही सैनिकों के स्तर पर सशस्त्र बलों में शामिल होने का एकमात्र तरीका है और केवल चिकित्सा अनुभाग को इससे बाहर रखा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एएसजी ने कहा कि Indian Armed Forces दुनिया में सबसे अधिक पेशेवर सशस्त्र बल हैं। जब वे इस तरह के बड़े नीतिगत फैसले ले रहे हों तो उन्हें और अधिक छूट दी जानी चाहिए। पिछले दो साल के दौरान कई आंतरिक और बाहरी परामर्श किए गए, हितधारकों के साथ कई बैठकें हुईं। सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई आज, गुरुवार 15 दिसंबर 2022 को भी जारी रहेगी।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page